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________________ समुदायसे पाचों इन्द्रियों के संवरका उपदेश कभागसंवर-करट और उत्करट - क्रियावंतकी शुभयोगमें प्रकृति होनी चाहिये इसके कारण मनुयोगके संबरकी प्रधानता : नि:संगता और संवर-उपसंहार पंचदशः शुभवृतिशिक्षोपदेशाधिकार आवश्यकक्रिया करना सपल्या करना शीशग-योग-उपसर्ग-समिति-गुप्ति साप्याय-आममार्य-भिक्षा आदि उपदेश-विहार सास्मनिरीक्षण परिणाम स्पीभवर्जन-योगनिर्मलता भावना-आत्मलय मोहके-सुभटोंका पराजय रुपसहार-शुद्धप्रवृत्ति करनेवाले की गति षोडशः साम्यसर्वस्वाधिकारः समसाफल-मोक्षसंपत्ति प्रीियात्याग यह समताबीज एखके मूल-समता ममता समसाकी बानगी-फलावाप्ति अमलाके कारणरूप पदार्थोंका सेवन कर यह अन्ध समतारसकी वानमी भर्ष, नाम, विषय, प्रयोजन स्मसंहार ३ ३१ ६५५ सभामा VOM
SR No.022086
Book TitleAdhyatma Kalpdrum
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManvijay Gani
PublisherVarddhaman Satya Niti Harshsuri Jain Granthmala
Publication Year1938
Total Pages780
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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