SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 15
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ काव्यसंग्रह 'मां तथा आचार्य जिनविजयजी-संपादित 'प्राचीन गुजराती गद्यसन्दर्भ'मां उपलब्ध प्राचीनतम गद्यसाहित्यनी उत्तम वानगी छे. डॉ. टी. एन. दवेए लंडन युनिवर्सिटी समक्ष रजू करेला पोताना बृहनिबंधमां (A Study of the Gujarati Language in the 16th Century V. S.) सं. १५४३मां रचायेला 'उपदेशमाला'ना बालावबोधनुं संपादन करेलुं छे. त्यार पछी बृहन्निबंधरूपे आवां एकबे संपादनो थयां छे, पण ते हजी प्रकाशित थयां नथी. गुजरात तथा राजस्थानमाथी बहार पडतां सामयिकोमा केटलीक नानीमोटी प्राचीन गद्यकृतिओ प्रसंगोपात्त प्रसिद्ध थई छे. प्राचीन गद्यनां प्रेरक बळो अर्वाचीन गद्यनां प्रेरक बळोथी विभिन्न छे, अने परिणामे ए बन्ने युगमां विकसेला गद्य-साहित्यप्रकारो पण विभिन्न छे. वळी अर्वाचीन युगमां साहित्य- मुख्य वाहन गद्य बन्युं छे अने ए रीते एनुं महत्त्व वध्युं छे. पण जूनामां जूनी उपलब्ध गद्यकृतिओथी मांडी प्राचीन युगना छेल्ला प्रतिनिधि दयारामकृत ' सतसैया' उपरनी स्वरचित गुजराती टीका तथा स्वामीनारायणनां 'वचनामृतो' सुधीनी गद्यरचनाओ उपरथी जूना गुजराती गद्यनां बंधारण अने शैलीनो ऐतिहासिक दृष्टिए कालानुक्रमिक अभ्यास थाय त्यारे विचारोनी स्पष्ट अने रुचिर अभिव्यक्ति माटे जूना गद्यनुं सातत्य अर्वाचीन गद्यमां केटले अंशे रहेलुं छे तथा कई अने केवी नवी लढणो भाषामां विकसी छे ए चोकस स्वरूपे समजी शकाय. वळी पद्य करतां गद्य ए बोलाती भाषानुं विशेष निकटवर्ती होय, ए कारणे पण अभ्यास माटे एनुं एक खास महत्त्व छे. आ दृष्टिए नेमिचन्द्रकृत प्राकृत 'पष्टिशतक प्रकरण' उपरना-अनुक्रमे सोमसुन्दरसूरि, जिनसागरसूरि अने मेरुसुन्दर उपाध्यायकृत-त्रण प्राचीन गुजराती बालावबोधोना संपादन- आ ग्रन्थमालाना प्रथम पुष्परूपे थतुं प्रकाशन अभ्यासीओने उपयोगी थशे एवी आशा छे.
SR No.022082
Book TitleShashti Shatak Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Bhandari, Bhogilal J Sandesara
PublisherMaharaja Sayajirav Vishvavidyalay
Publication Year1953
Total Pages238
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy