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________________ त्रण बालावबोध सहित केतलाइ धोरी धवल मूलगा वृषभ तेह जि काढई । बीजे वृषभे न काढई । तह० तिम मिथ्यात्त्वरूपिआ कादममाहि कलिउं आपण' कुटुंब विरला० के एक समर्थ उत्तम उपाइं करी काढई। मिथ्यात्त्व छंडावी साचइ धर्मि लगाडई ॥७९॥ [जि.] जिम केईएक धवला धोरी मूलगा सबलबल अतिकर्दमना 5. कलणमाहे खुत्तं खूतउं हूंतउं सगड गाडडं काढइं तह तिम इह संसारमाहि विरला केईएक पुरुष मिच्छाओ मिथ्यात्त्व हूंतउं कुटुंबपरिवार काढइं । साचइ जिनधर्म लगाडइं ॥ ७९ ॥ [मे.] जिम अतिकलण कादममाहि खूतउं गाडउं केईएक धोरी वृषभ हुई तेही जि काढी सकइं, सामान्य वृषभ काढी न सकइं तिमro मिथ्यात्त्वरूपीया कलणमाहे कुटुंब पूतउं थकउं इहां विरला कोईएक काढइ ॥ ७९॥ ।०ाता [सो.] केतलाएक वीतराग सर्वज्ञ सर्वज्ञदेवने लक्षणे' सहितइ न ओलखइ । ए वात कहइ छइ । [जि.] अथ श्रीसर्वज्ञदेवनी अप्राप्तिकारण कहइ। 15 जह वद्दलेण सूरं महियलपयड पि नेव पिच्छंति । मिच्छत्तस्स य उदए तहेव न निति जिणदेवं ॥८॥ [सो.] जिम वादलि आडइ छतइ पृथ्वीमंडलमाहि प्रकट सूर्य न देखीइ तिम मिथ्यात्त्वरूपिइ वादलि आडइ छतइ जिनदेव श्रीसर्वज्ञदेव विश्वमाहि प्रकट प्रमाणइ छतु न निति न देषइं ॥ ८० ॥20 [जि.] जह जिम वादलिइ करी महियलपयडं पि जगत्रयहूई प्रत्यक्षई हूंतउ सूर सूर्य नेय पिच्छंति न देषइं तहेव १ आपणु. २ लागई. ३ लक्षण ए. ४ उलषइं. ५ मिच्छित्तस्स. ६ प्रकटइ. ७ मिथ्यात्त्वनइ उदया मिथ्यात्त्वरूपिइ. . .. . . ... ११
SR No.022082
Book TitleShashti Shatak Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Bhandari, Bhogilal J Sandesara
PublisherMaharaja Sayajirav Vishvavidyalay
Publication Year1953
Total Pages238
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size19 MB
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