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________________ (२६) ॥ माथार्थ ॥ कारण जाणवा पिण एकांते एकने मानवा थी मिथात्व जाणवो. सर्व मिले सम्यक्त छे दृष्टन्त-प्रांधलोइ दीठा हाथी नी परे.४. ए च्यार गाथा नो अर्थ छे. . -२७१वें प्रश्न में 'पडिरूवो' इत्यादि दो गाथा आई हैं उन का अर्थः प्रतिरूप एटले रूपवन्त १ तेजस्वी ते तेजवन्त २ जुगप्रधान ते उत्कृष्ट आगमना पारगामी एटले सर्व शास्त्र ना जाण ३ महुर वको नाम मधुर वचन बोलने वाला गंभीर पेटावाला५ धिईमन्त नाम धीर्यबन्त६ उपदेश देवा मां तत्पर अने रूडो आचार पालनार ७ एहवो आचार्य. १ . अपरिस्साची ते सांभलेलो भूले नहीं ८ सोमो नाम सौम्य देखे तेने साता उपजे । संग्रहशील एता. वता उपग़रणादि संग्रह १ . अभिग्रह मति त्यामादि में प्रवत ११ अधिकथन विकथा न करे मन में राखे१२ अचपल चले नहीं १.३ प्रसन्न हृदय वाला १४. २. २७२वें प्रश्न में 'श्रावसगंतु' इत्यादि गाथा
SR No.022052
Book TitleRatnasar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTarachand Nihalchand Shravak
PublisherTarachand Nihalchand Shravak
Publication Year1899
Total Pages332
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Gujarati & Book_Devnagari
File Size14 MB
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