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________________ विषय. (१८) ॥विषयानुक्रमणिका ॥ प्रश्न. . पृष्ठ. ... ना अंशे क्षयोपशम धर्म पामै छै ते किम् ? १३३ १७२ जिन वाणी ध्यान मांहि आवै ते किम् ? ,, १७३ च्यार प्रकार नी बुद्धि ना नाम तथा तेहना शब्दार्थ. १३४ १७४ जाती.समरण तथा विभंग ज्ञान केह - . ना भेद छै ? १३५ १७५ चन्द्रमा नी चाल केहवी ? १७६ मिथ्यात्व अविरत हेतु. . . . , १७७ तीन प्रकारे कर्म नी वक्तव्यता.. १३६ १७८ जीव ने मार्गप्राप्त क्यारे कहिये ? , १७६ साधु ने जे त्रण्य जोग छै ते त्रण्य रत्न . . त्रय गुणे प्रणम्या छै ते किम् ? ... १३८ १८. संसार मांहे जीव केतली प्रकारना छै ? १३९ १८१ भव्य जीव नुं लक्षण. १८२ अभव्य जीव नु लक्षण. . . . १४० १८३ त्रीजो भव्याभव्य जीव किहो ? ,
SR No.022052
Book TitleRatnasar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTarachand Nihalchand Shravak
PublisherTarachand Nihalchand Shravak
Publication Year1899
Total Pages332
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Gujarati & Book_Devnagari
File Size14 MB
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