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________________ बाढ़ का हित जिसके जरिये अनेक प्रकार के चेपी रोग पैदा हो जाते है । उस पाणी असंख्य समुद्धिम मनुष्योत्पन्न हो जाते है। अच्छा आदमि उनके वहाँ का पाणी पीनेमें हीचकते है बह ही पाणी गरमकर साधु साध्वियों को दान देते है यह कितना अज्ञान है ? अगर किसी जीमणवार में देखा हो तो भला आदमि वहाँ भोजन करना भी अच्छा नहीं समझते है इत्यादि । यद्यपि उपदेशकों के उपदेशसे इस प्रथा में सुधाग हुआ है तथापि जहाँ सरवे नहीं है उनको शीघ्र लेना चाहिये । करवा ( ४ ) महाजनों के न्याति जीमणवारोमें भी अभी बहुत सुधारा कि जरूरत है। रसोई बनानेवाले ब्राह्मणं वगैरह उच्च जातिवान होना चाहिये कि जिसकी बनाई रसोई सब लोग विगर संकोच जी सके । पुरसगारों के लिये भी अच्छा इन्तजाम हो कि बालेंटर वगैरह ठीक तजवीजसे पुरसगारी करे कि अपनी बहन बेटियों अच्छी इज्जत व योग्यतासर बेठ के भोजन कर ले, विशेष झूठा न रहे | पाणी वगैरह की शुद्धतापर ठीक ख्याल किया जाय. 1 (५) शरीर स्वास्थ्य की और गोडवाड़ प्रान्त का लक्ष बहुत कम है जिसमें भी बाल बच्चों की आरोग्यता के लिये तो बड़ा ही अन्धेर है जिसके बालक नहीं हैं वह तो बाबा, गुसांई, मुल्लांपीर या अनेक देवी देवताओं की मान्यता के भ्रम में भ्रमन किया करते है और जिनके बाल बच्चा है वह उनके रक्षण क एक किस्म की वैगार समझते है । धनाड्यों के लडकाओं के शरीरपर आधासेर सोना मिल जावेंगें पर उनके. आरोग्यता का एक
SR No.022036
Book TitleSamavsaran Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar Muni
PublisherRatnaprabhakar Gyanpushpmala
Publication Year1929
Total Pages46
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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