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________________ वालीके वर्तमान. करीबन १२५ संख्या में पधार गए, पन्यासजी महाराज का नगर प्रवेश बड़े ही समारोहसे हुआ, और स्वधर्मियों का स्वागत (भोजन) सुबह साह जवाहरमलजी मानमलजी टीकायत के वहां, और शामको शाह गंगाराम तारूजी की ओर से हुवा था। .. वालीमें कई अों से कुछ कुसम्प था जिसकी शान्ति के लिए दोनों पार्टी अर्थात् सब गांव वालों की सम्मतिसे एक इकरार नामा लिख कर मुनिश्रीको दिया है, कि जो आप श्रीमान् फैसला देंगे. बह हम सबको मंजूर है; उम्मेद है कि मुनिश्री जो फैसला देगा उसको सब गांव शिरोद्धार कर गांव में प्रेम एक्यता से कार्य कर शांति वरतावेंगे। इस समय अधिष्ठायक देवकी वालीपर मेहरबानी है कि सब तरहसे आनंद मंगल वरत रहे है भविष्यके लिए ऐसे ही आनन्द मंगल की आशा करते हुए इस लेखकी समाप्त करता हुं । मैं एक परगांव का आदमी हूं, पूछने पर जितनी वातें मुझे मिली; यहां लिख दी हैं अगर इसमें कोई त्रुटी रही हो तो आप सज्जन क्षमा प्रदान करें। किमधिकम् । __ श्री संघ सेवक, समवसरणके दर्शनार्थी आया हुआ केसरिमल चोरडिया बीलाडावाला.
SR No.022036
Book TitleSamavsaran Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar Muni
PublisherRatnaprabhakar Gyanpushpmala
Publication Year1929
Total Pages46
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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