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________________ व्यवहारविधिप्रकरणम् ४७ भिन्न-भिन्न क्रियाओं वाले आवेदन को (अधिकारियों को) नहीं सुनना चाहिए। (परन्तु कभी-कभी) अनेक (वादों को) विषय बनाने वाले आवेदन को भी अधिकारियों द्वारा सुनना चाहिए। (वृ०) कस्मिंश्चित् काले भिन्नविषयभूतैकविज्ञप्तिरपि श्रोतव्या भवतीत्याह कभी-कभी भिन्न-भिन्न विषयभूत एक आवेदन भी अधिकारियों को सुनना पड़ता है, इसका कथन - एकैकविषयासक्तोऽनेकक्रियसमन्वितः । श्राव्यो वाद्यभियोगश्चान्यद्ग्रामजनहेतुकः॥१८॥ यदि वादी का अभियोग दूसरे गाँव के लोगों के हेतु वाला हो तो अनेक क्रियाओं और अलग-अलग विषयों से युक्त होने पर भी आवेदन अधिकारियों को सुनना चाहिए। साक्ष्यादिहेतुभिः सिद्धं तद्विमश्याधिकारिभिः। शीघमाज्ञा प्रदेया हि जयपराजययोरिति॥१९॥ साक्षी इत्यादि हेतुओं से सिद्ध उस वाद पर विमर्श करके (वादी के) जय अथवा पराजय की आज्ञा अधिकारियों द्वारा शीघ्र प्रदान की जानी चाहिए। (वृ०) यद्यपि व्यवहाराभियोगे न्यायेन एकविषयैकक्रियायुता विज्ञप्तिरेवैककाले च देया इत्युक्ता परन्तु केनचिदन्यपत्तनीयानेकपुरुषैर्नियोगे तद्विज्ञप्तिरवश्यं श्रोतव्या भवत्येव इति श्रोतव्यं चेत् पराह्वानाय समुद्राज्ञाछदं दूतद्वाराप्रत्यर्थिसमीपे प्रेषयेदन्यथा तु तत्पत्रं राज्यपत्रकोषे क्षिपेत्। तथाहि - यद्यपि व्यवहार सम्बन्धी आरोपपत्र न्याय के अनुसार एक विषय और एक क्रिया से युक्त दिया जाना चाहिए, यह कहा गया है परन्तु वाद किसी अन्य नगरवासी अनेक पुरुषों से सम्बन्धित हो तो उसका आवेदन अवश्य सुनना चाहिए। क्योंकि - श्रोतव्या यदि विज्ञप्तिस्तस्यामाज्ञां लिखेत्परा ह्वानाद्यर्थे समुद्रां चाधिकारी तां प्रवर्तयेत्॥२०॥ नपाज्ञापत्रं तत्रैव गच्छेदतो ह्यनाकुलम्। योग्यतायोग्यते दृष्ट्वा नेतुं योग्यं तमानयेत्॥२१॥ यदि अधिकारी द्वारा वह विज्ञप्ति सुनी गई है तो प्रतिवादी को बुलाने आदि के लिए लिखित राजाज्ञा पत्र राजा की मुद्रा सहित भेजनी चाहिए। दूत शीघ्रता से
SR No.022029
Book TitleLaghvarhanniti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemchandracharya, Ashokkumar Sinh
PublisherRashtriya Pandulipi Mission
Publication Year2013
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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