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________________ ॥३६॥ शीलांगादि रथसंग्रह. ॥३६॥ बेइंदीया-बेइंद्रीवाळा | अभिहया-सामा आवताहण्या| भीते घस्या | उद्दविया-भय पमाड्या | तेइंदीया-त्रणइंद्रीवाला ते-तेमने संचाइया-शरीरे शरीर मेळव्यां | डाणाओ-एक स्थानकथी चरिंदीया-चार इंद्रीवाळा | खमावेमि-खमाबुंछु संघट्टीया-पीडा करी पंचिंदीया-पांचइंद्रीवाळा | वत्तिया-धूळे करी ढांक्या | परियाविया-दुःखी कर्या ठाणं-चीजे ठेकाजे अजीवा-अजीव | लेसिया-भाय साथे अथवा | किलामिया-यकव्या । विणासिया-नाश कर्या १५ ापथिकारथनी बहारनी गाथाना बुटा शब्दोना अर्थ. ॥ उवसम-उपशम | पुढवि-पृथ्वी समिति-पांच समितिवालो | पंचिंदी-पंचेंद्री धरेण-धारण करनाराबडे जीए-जीवोने योग-त्रण जोग अजीव-जीवपिनाना मणसा-मनवडे रख्खंतो-रक्षण करतो एकेंदी-एक इंद्रीयवाला सहित-सहित कोह-क्रोध अभिहया-सामा आवता ह एवं-ए प्रकारे विमुक्को-विमुक्त बेइंदी-ये इंद्री वाळा ण्या होय य-च, बळी तेइंदी-त्रग इंद्रोवाळा अभिया-सामा आवता हण्या | इरियासमिओ-इर्या समितिवाळो खमावेमि-खपावुछ. चरिंदी-चरिंद्री | प्रमुख-विगेरे - SRIDGGEORGGGon DOORDPONGEOGOOGGION - | ते-तेमने muminuman । उत्सम धरेण सणासा, कोहविमकोय इश्यिसमिओ ॥श्री शरियापथिकिरथ ॥ १५॥ उवसम धरेण मणसा, कोहविमुक्कोय इरियसमिओ॥ पुढविजिए रख्खंतो, अभिहया ते खमावेमि॥१॥
SR No.022024
Book TitleShilangadi Rath Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages78
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size40 MB
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