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________________ ८४८ तस्वार्थवार्तिके पं. पं.। ५ क्रियाविशाल २४१ ७८ क्रोध .::. :: ३ २९ क्लिनगुडरेणु| श्लेषवत् १४६ क्लेशवणिज्या ५४९ . ३१ क्षणिकैकान्त १५ १२ क्षय १०० १३ क्षायिक १०५ २९,३० १० ५ ९७ २७ २२ पृ० पं. पृ० २२२ कुमुदाङ्ग २०९ कुल्याजलवत् ४७० २५७ कुशलमूला ६०३ कालतः कुशलशब्दवत् ७० कालत्रैविध्य कुशूल २०६ सिद्धि ४८२ कुशूलस्वातन्त्रवत् ८ काल (द्विविध) ४८१ कूटशाल्मल्यारोहणा४८२ वतरण १६५ कालपरमाणु कृत कालप्रमाण २०६ १२ कृतप्रणाश १२४ काललब्धि १०४ १९,२१ कृतमालदेव १७२ २२,२५ कृत्स्न ४८७ कालवृद्धि कृदौविकायन कालसंसार कृषि कालिक २०५ कालिन्दी २२५ कृषिकर्मार्य २०१ कालोल १६२ कृषीबलवत् ५९३ काव्यगुणदोष कृष्ण क्रिया ७७ किन्नर १६० कृष्णव्यपदेशवत् १८३ ૨૨૭ केचित् पोतजा किन्नरेन्द्र २१७ । इति पठन्ति १४४, किल्विषिक २१३ केवल ४४ किष्कम्बलपाल ७३ १३ केवलिसमुद्धात ७७ किष्कु २०८ केवलिसमुकीर्ति १८३ द्धातकाल ५०६ कीलिकासंहनन ५७७ केवली कुडव केशानकोटि ७८ २०७ २०६ कोष्ठबुद्धि २०१ कौक्कल ५६२ प्रदीपवत् ४६३ कौत्कल ७४ कुतीर्थप्रशंसा ५१९ १४ | कौशिक कुत्सा ५७४ . २० कुथुमि क्रम ५६२ क्रमण १९७ कुबेर क्रमाक्षेप ४८० कुब्जसंस्थान क्रियमाण ९७ ५७१ क्रिया ४४६ कुमार २१६ २० १९८ क्रिया (द्विविधा) ४८१ २०९ ५ | क्रियावाद ४६२ २८ ४ १९ २८ क्षायिकसम्यग्दृष्टि ६३६ क्षायिकी क्षायोपशमिक चारित्र, १०८ क्षायोपशमिक संयमासंयम १०८ क्षायोपशमिक सम्यक्त्व १०८ क्षिप्रग्रहण ६३ क्षीणकषाय ५९० क्षीणाक्षीणमद शक्ति कोडवत् १०० क्षीरास्त्रविन् २०४ - क्षुद्यमानब्रीहितुष कणतन्दुल विवेकवत् ६३६ क्षुद्रपात क्षेत्र २४१ क्षेत्रतः क्षेत्रप्रमाण २०६ क्षेत्रवृद्धि क्षेत्रार्य २०० क्षेमङ्कर २४३ श्वेलौषधिप्राप्त २०३ १६ ३ १० + k : .....२-:. : २६२: #k.. २२ कुण्टनयनयष्टि س س س ५६२ २५२ س ८३ १० २ खड ४ | खण्ड १६२ ४८९
SR No.022021
Book TitleTattvarth Varttikam Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAkalankadev, Mahendrakumar Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2009
Total Pages456
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Tattvartha Sutra
File Size16 MB
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