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________________ '११५ ' मुकतां '१०१५०००' आई रूप थाय. आमा पहेले जीजे चौथे स्थाने एक एक अने पांच मुकतां बीजुं पांचमं छठं अने सातमु स्थान खाली रह्यु, त्यां मिंडां मुक्यां छे, पछी सातमुं पद १३५ ' तेनी साथे पहेलो विकल्प ' ११५ ' मुकतां '१०१०५००' आq रूप थयुं । पछी आठमुं पद '१३६' एनी साथे पहेलो विकल्प जोडतां '१०१००५० ' पछी नवमुं पद '१३७ ' तेनी साथे पहेलो विकल्प मुकतां '१०१०००५' आई रूप थयु. आमां पहेले त्रीजे अने सातमें स्थाने एक एक अने पांच मुकतां खाली स्थाने मिंडां मुक्यां छे. अहीं सातनो अंक आव्यो माटे बीजी श्रेणी चार पदनी पूरी थई. तेनी साथे जेम पहेलो विकल्प जोडयो तेम पंदरे विकल्प बीजी श्रेणीना चार पदनी साथे जोडतां ६० भांगा थया, तेमां ७५ पहेली श्रेणीना भेलवतां १३५ प्रस्तार थया । पछी त्रीजी श्रेणीनुं पहेलं पद '१४५' तेनी साथे पहेलो विकल्प '११५' जोडतां '१००१५००' आवं रूप थयु. एम १४६ अने १४७' ए त्रण पदनी त्रीजी श्रेणी थई, ते पण पूर्वनी पेठे पंदर विकल्पनी साथे जोडतां ४५ प्रस्तार थया । त्रणे श्रेणीना १८० भांगा थया । एम त्रिक संयोगीनां ३५ पद साथे त्रिक संयोगाना पंदर विकल्प उपर कहेली श्रेणीबंध रीतप्रमाणे क्रमथी जोडतां ५२५ भांगा त्रिक संयोगीना थाय. एम जेटला संयोगीना भांगा लखवा होय तेटला एवी रीते लखवा । Pa
SR No.022015
Book TitlePrastar Ratnavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnachandra Swami
PublisherAgarchand Bhairodan Sethiya Jain Granthalay
Publication Year1925
Total Pages282
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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