SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 278
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अगरचंद भैरोदान सेठिया जैनग्रन्थालयकी तरफसे छपी हुई पुस्तकें१ प्रकरण (थोकडा) संग्रह भाग २ जा. इसका योजक लींबडी सम्प्रदायके विद्वान् पूज्यमुनिश्री उत्तमचंद्रजी स्वामी है। इसमें पञ्चीस क्रिया, योनिद्वार, गर्भावास, श्वासोच्छास, जीवके १४ भेदकी चरचा,५६३भेदकी चरचा, महादंडक, चार ध्यान, देशबंध सर्वबंध, संख्याताऽसंख्याता अनंता, पांचशरीर, पांचइन्द्रिय, पुद्गलपरावर्तन, पांचज्ञान, सप्रदेशी अप्रदेशी, पढमापढम, चरमाचरम, आहारक अणाहारक, समव. सरण, बंधी, लब्धि, बड़कर्मप्रकृति, ४४ बोलका अल्पबहुत्व, पंद्रहयोगका अल्पबहुत्व, जीवके १४ भेदका अल्पबहुत्व, इत्यादि अनेक प्रकरणोंका संग्रह किया गया है। और लींबडीसम्प्रदायके विद्वान् पूज्यमुनिश्री गुलाबचंद्रजी स्वामीजीने परिश्रम लेकर शुद्ध करदिया है। बढीया कागज और ३० फोर्मकी पक्की जिल्द होनेपर भी किमत लागत मात्र एकरुपिया रु.१-पोस्टखर्च अलग। २ सामायिकसूत्र। हिन्दी शब्दार्थ और भावार्थ सहित श्रीमान् शतावधानी पं. मुनिश्री रत्नचंद्रजी स्वामीद्वारा शुद्ध कराई हुई है। और साथमें प्राकृतशब्दकोष भी दिया है, जिससे पढनेके लिये यह अत्युत्तम है किमत दो आना. ३ प्रतिक्रमणसूत्र। हिन्दी शब्दार्थ और भावार्थसमेत है. किमत दोआना ! ४ तेतीस बोलका थोकडा। कि. एकाना।
SR No.022015
Book TitlePrastar Ratnavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnachandra Swami
PublisherAgarchand Bhairodan Sethiya Jain Granthalay
Publication Year1925
Total Pages282
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy