SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 250
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २३२ प्रकरण ६ ठं-उद्दिष्ट विधि. सिद्धभांगाना उद्दिष्टनी रीत। कोइ पुछे के अमुक भांगो केटलामो छे ? आ पूछेल भांगा उपरथी भांगानो नंबर शोधी काढवो तेने उद्दिष्ट कहेवामां आवे छे, तेनी रीत आ प्रमाणे छे पूछेल भांगामां कया संयोगीनु केटलामुं पद अने कया संयोगीनो केटलामो विकल्प छे ते प्रथम जोवू । पहेली रीत प्रमाणे जेटलामुं पद होय, तेषांथी एक बाद करी, तेने ते संयोगीना विकल्पनी संख्याए गुणाकार करवो, जे आवे तेमां जेटलामो विकल्प भांगामां आव्यो होय ते संख्या उमेरवी, जे संख्या थाय तेमां ते संयोगीथी उपरना संयोगीओनी भांगानी संख्या सूचीमां जोई उभेरवी, जे आवे ते पूछेल भांगानो नंबर जाणवो । बीजी रीत प्रमाणे पुछेलरूपमां जेटलामो विकल्प होय तेमांथी एक बाद करी ते संयोगीना एकंदर पदनी संख्याये गुणाकार करवो, जे आवे तेमां पुछेल रूपमां जेटलामुं पद होय, ते संख्या उमेरवी, जे आवे तेमां उपरना संयोगीना भांगानी संख्या उमेरतां जे संख्या आवे तेटलामो नंबर पुछेल भांगानो समजवो. . उदाहरण नं १-पहेली रीत प्रमाणे पांच व्रतना चउकसंयोगीना ५-६-१-६-० आ भांगो केटलामो छे? आमां ५-६-१-६ आ विकल्प तेना उदिष्टनी रीत प्रणाणे जोतां षट्भंगीना चउकसंयोगीनो १०५० मो छ, अने १२३४ आ पद पहेलं छे. एकमांथी एक बाद करतां शून्य आवे एटले गुणाकार न थाय माटे
SR No.022015
Book TitlePrastar Ratnavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnachandra Swami
PublisherAgarchand Bhairodan Sethiya Jain Granthalay
Publication Year1925
Total Pages282
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy