SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 24
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २३६७ २४५६ २४५७ २४६७ २५६७ ३४५६ ३४५७ ३४६७ ३५६७ ४५६७ एवं ३५ १२३४७ १२३५६ पं. सं. २१ १२३४५ १२३४६ १२३५७ १२३६७ १२४५६ १२४५७ १२४६७ १२५६७ १३४५६ १३४५७ १३४६७ १३५६७ १४५६७ w २३४५६ २३४५७ २३४६७ २३५६७ २४५६७ ३४५६७ एवं २१ 22 प.सं. ७ १२३४५६ १२३४५७ सप्तम १२३४६७ १२३५६७ १२४५६७ १३४५६७ २३४५६७ एवं ७ पदना प्रस्तारनुं रहस्य. सात ठामना प्रस्तारमां प्रथम असंयोगीनां सात पद छे. तेनुं रहस्य ए के कोई जीव पहेले ठामे-पहेली नरके जाय. कोई बीजीए, कोई त्रीजीए, कोई चोथीए, कोई पांचमीए, कोई छट्टीए, अने कोई सातमीए जाय. द्विकसंयोग मां प्रथम १२ नो अंक छे. ते कोई जीव पहेली ने बीजीए जाय, ६७ नो अंक होय तो कोई जीव छठ्ठी ने सातमीए जाय, त्रिकसंयोगमां प्रथम अंक १२३ छे ते कोई जीव पहेली बीजी अने त्रीजीए जाय. एम दर्शावे छे. ५६७ नो अंक होय तो कोई पांचमी, छठ्ठी अने सातमीए जाय एम दरेक मस्तारनुं रहस्य समजबुं. १२३४५६७ एवं १ सर्वमली १२७ प्रस्तार थया प्रकरण २ जुं=विकल्प -- जीव प्रस्तार. जेटला जीवना विकल्प करवा होय तेटली वार एकथी कहडता बमणा करवा, एक जविनो एक विकल्प, वे जीवना बे, त्रण
SR No.022015
Book TitlePrastar Ratnavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnachandra Swami
PublisherAgarchand Bhairodan Sethiya Jain Granthalay
Publication Year1925
Total Pages282
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy