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________________ २०२ देवकुलिकानुं तात्पर्य पहेलो कोठो विकल्पना असंयोगी ट्रिक संयोगी त्रिक संयोगी आदिनी संख्या बतावे छे । बीजो कोठो पदना असंयोगी द्विकसंयोगी आदिनी संख्या बतावे छे अने त्रीजो कोठो सिद्ध भांगाना असंयोगी विकसंयोगी आदिनी संख्या बतावे छ । वधा संयोगोनो एकंदर सरवालो करवाथी ते ते व्रतना विकल्प पद अने सिद्ध भांगानी एकंदर संख्या नीकले छ । सिद्धभांगानी एकंदर संख्या काढवानी बीजी रीत-जे वतना भांगानी संख्या जाणवी होय तेना आगला व्रतना सिद्ध भांगानी संख्याने जे भंगी होय तेमां एक उमेरतां जे संख्या आवे ते संख्याये गुणी,तेमां ते भंगीनो अंक उमेरवाथी भांगानी संख्या नीकले छे । जेमके--षट्भंगी होय तो साते गुणी छ भलववा । नवभंगी होय तो दशे गुणी नव भेलववा । २१ भंगी होय तो २२ थी गुणी २१ भेलववा। ४९ भंगी होय तो ५० थी गुणी ४९ भेलववा अने १४७ भंगी होय तो १४८ थी गुणी १४७ भेलववा । उदाहरण-षट्भंगीये सात व्रतना सिद्ध भांगानी कुल संख्या जाणवी होय तो छ व्रतना सिद्ध भांगानी कुल संख्या ११७६८ छे. तेने षट्भंगी छे माटे साते गुणी छ भेलवतां ' ८२३५४२' आ एकंदर संख्या सात जना सिद्ध भांगानी निकळी. एवी रीते नव भंगी आदिना सिद्ध भांगानी कुल संख्या काढवी । एक व्रतथी उत्तरोत्तर व्रतना भांगानी एकंदर संख्या काढवामां आ रीत सुगम थई पडे छ ।
SR No.022015
Book TitlePrastar Ratnavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnachandra Swami
PublisherAgarchand Bhairodan Sethiya Jain Granthalay
Publication Year1925
Total Pages282
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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