SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 142
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ૨૩ जे ठामना प्रस्तारमा अन्त्य अंक जोवा होय ते पंक्तिना आडा खानाना अंको जोवा । सात ठामना जोवा होय तो ९-२-४-८-१६ यावत् ६४ आ अंको सात ठामना १२७ प्रस्तारमांना अन्त्य एकडा बगडावाला रूपो सुचवे छे। ॥ इति पदना संयोगी काढवानो मेरुविधि || ॥ अथ विकल्पना मेरु विधि ॥ जेटला जीवनो मेरु करवो होय तेटली पंक्ति मेरुने आकारे करवी, पछी पहेली पंक्तिमा एक कोठो करवो, बीजी पंक्तिमां वे कोठा, त्रीजीमां त्रण, एम एक एक कोठो दरेक पंक्तिमा वधारवो, पछी पहेला अने छेल्ला कोठामां एकडा मुकवा अने वच्चेना खाली कोठा उपरनी पंक्तिना बबे अंको शृंखलाबंध न्याये भेगा करी क्रमथी भरवा । पछी जे पंक्तिनो सरवालो करीए अने जे संख्या आवे ते जेटलामी पंक्ति होय तेटला जीवना सर्व विकल्प समजवा, ते पंक्तिना पहेला कोठामां जे अंक होय ते असंयोगीना विकल्प समजवा । एम बीजे कोठे जे अंक होय तेटला विकल्प द्विकसंयोगीना थाय, त्रीजे कोठे जे अंक होय तेटला विकल्प त्रिक संयोगीना समजवा । एम जेटला कोठे जे अंक होय ते तेटला संयोगीना विकल्प समजवा । एहवी रीते जेटला जीवनो मेरु करवो होय ते करवो ।
SR No.022015
Book TitlePrastar Ratnavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnachandra Swami
PublisherAgarchand Bhairodan Sethiya Jain Granthalay
Publication Year1925
Total Pages282
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy