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________________ ११२ प्रकरण ६ ठं-उदिष्ट, ॥ अथ पदना उदिष्ट ॥ आठ ठामना चउकसंयोगीनु २४६७ आ पद केटलामुं छे एम कोई पुछे तो चउकसंयोगीनुं पहेलं पद लखी तेना उपर पूर्वोक्त नष्टरीतिये यंत्र करी, नष्टनी रीते पहेला पद उपर अंक भरवा जेमके ३५ २० १० ४ | पछी छेल्ला अंक उपर जे १ २ ३ ४ | चोगडो छे ते पदना बीजा त्रीजा अने चोथा अंकमा भेलवतां १६७८' आवु ३५ मुं रूप थयु केमके ४-१०-२०-नो सरवाळो करता ३४ थया ने एक वधारानु, पूछेल पद बगडानी आदिनुं छे माटे आ पछीनु छ, तेथी ३६ मुं पद लखी तेना उपर नष्टनी रीतिये अंक मुकवा. १५ १० ६ ३ पछी छेल्लो त्रणनो अंक पदना छेला बे अंकमां २ ३ ४ ५ भेलवतां २३७८ आ ४५ मुं रूप थाय । केमके ३५ पूर्वना अने त्रण अने छ भेलवतां ४४ अने एक वधारानो एम ४५ थया. पछी पूछेल रूप २४ नी आदिनुं छे अने ४६ मुं रूप पण २४ नी आदिनु आवे छे माटे ते पछी थोडां रूप लखवां '२४५६' आ ४६ मुं रूप, '२४५७' ए ४७ मुं, '२४५८' ए ४८ मुं, '२४६७ ए ४९ में पूछेल रूप आव्यु ए रीते उद्दिष्ट करी पूछेल रूपनो अंक काढवो। , 6 .
SR No.022015
Book TitlePrastar Ratnavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnachandra Swami
PublisherAgarchand Bhairodan Sethiya Jain Granthalay
Publication Year1925
Total Pages282
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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