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________________ विषयानुक्रमणिका २९ - - - M पृष्ठ श्लोक ६५६ याचितवस्तु न मिली तो दाताको छोड देते हैं ३२६ ६४७ याचकोंको लज्जा आदि नहीं रहते ३२७ ६४८ दुर्जनसंगतिसे सजन भी दोषी होते हैं ३२७ ७९ ६४९ स्त्रियोंका बल्लभ कौन है ? ६५० देवकार्यमें विघ्न डालने का फल ६५१ छिद्रान्वेषी महापापी होता है ३२८ . ८२ ६५२ देवस्थानादिसे द्रोह नहीं करें ३२८ ८३ ६५३ पापीको प्रामाधिपत्य आदि प्राप्त नहीं होसकते ३२८. ८४ ६५४ सम्यग्दृष्टिका आदर करनेका वचन देकर ____ उदासीन नहीं होवे ३२८ ६५५ कंजूसका घर अपवित्र होता है ३२९ ८६ ६५६ पुण्यक्षेत्रको स्पर्श नहीं करनेवाले सूतकी जन .. सच्चरित्र होते हैं । ३२९ ८७ ६५७ पूजाके नामसे द्रव्यापहरण फल ३२९ ६५८ स्वाम्यादि द्रव्यापहरणफल । ३३० ९० ६५९ पात्रके बहानेसे द्रव्यापहरणफल ३३० ६६० पुण्यवान को पापकर्म आश्रय नहीं करते हैं ३३० ६६१ अशुभपरिणामसे पापासव : . ३३० ९३ ६६२ जैनमुनियोंके समाधिभंगफल ६६३ पापभीर गुरुजनोंके आसनपर नहीं बैठते ३३१ ९५-९६ ६६४ सजन पापकार्य को त्याग दें ३३१ ९७ ६६५ तपश्चरणसे सुख ३३२ ९८-९९ ६६६ आचरणके अनुसार फल ३३२ १०० ६६७ स्वक्षेत्रको छोडनेवाला पापी है ३३३ १०१ ६६८ मातापितादिकों की निंदाका फल ३३३ १०२
SR No.022013
Book TitleDan Shasanam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVardhaman Parshwanath Shastri
PublisherGovindji Ravji Doshi
Publication Year1941
Total Pages380
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size27 MB
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