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________________ विषयानुक्रमणिका سے سہ رسم पृष्ठ श्लोक ६०० कोई परोपदेशमें पंडित होते हैं ३१३ । २८ ६०१ कोई बैलके तुल्य होते हैं ३१३ २९ ६०२ कोई पिंगलके तुल्य मिष्टवचनी होते हैं ३१३. ३० ६०३ कोई चिकोडतुल्य होते हैं ३१३ ६०४ कोई सिंहके तुल्य पाप कमा लेते हैं ३१४ ६०५ कोई संकेतादिसे प्रणाम करते हैं ६०६ कोई बिल्लीके तुल्य हिंसातुर होते हैं ६०७ कोई हिंसानंदी होते हैं ३१४ ६०८ कोई कूर्म के तुल्य भ्रमण करते हैं . ३१५ ६०९ पापी उल्लू के तुल्य धर्मको देखते नहीं .३१५ ६१० कोई चूहेके तुल्य विवेकहीन होते हैं ३१५ ६११ कोई कौवेके तुल्य मर्मभेदी होते हैं ३१५ ६१२ कोई मनुष्यों का नाश करते हैं ६१३ कोई तृणके तुल्य होते हैं ६१४ कोई गाय बैलके समान स्त्रो देखकर संतुष्ट होते हैं ३१६ ६१५ कोई बलात्कारसे परस्त्रीगमन करते हैं ३१६ ६१६ कोई बाह्यतपसे पापसंचय करते हैं . ३१७ ६१७ कोई कैदीके तुल्य भोगकी इच्छा करते हैं ३१७ ६१८ दुष्टोंके लिये उपकार अपकारके लिये होता है ३१७ ६१९ कोई कर्मफल देता है, कोई नहीं देता है ३१८ ६२० पापोदयसे प्राप्त संपत्तीको भोग नहीं सकते ३१८ ६२१ कोई दानादिमें विघ्न उपस्थित करते हैं ३१८ ६२२ पापोदय होनेपर रंभाके तुल्य मृत्यको प्राप्त होते हैं ३१८ ६२३ कुत्ते के पेटमें घोके तुल्य पापियोंमें धर्म नहीं । ठहरता है ३१९ ५१ WWW ४५ ४५ ४९
SR No.022013
Book TitleDan Shasanam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVardhaman Parshwanath Shastri
PublisherGovindji Ravji Doshi
Publication Year1941
Total Pages380
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size27 MB
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