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________________ Shn Mahav Jain Aradhana Kendra wimm.kobatimorg Acharya Se Kailashsagarsun Gyanmandir माणी मायाए मायी लोहेणं लोही, से तं अपसत्थे, से तं भावसंजोगे, से तं संजोएणं, से किं तं पमाणेणं?, २ चविहे पं० तं०-नामप्पमाणे ठवण० दव० भावप्पमाणे, से किं तं नामप्पमाणे?,२ जस्सणंजीवस्स वा अजीवस्स वा जीवाणवा अजीवाण वा तदुभयस्स वा तदुभयाण वा पमाणेत्ति नामं कज्जइ से तंणामप्यमाणे, से किं तंठवणथ्यमाणे?, २ सत्तविहे पं००-णक्खत्त देवय कुले पासंड गणेय जीवियाहे आभिप्याइयणामे ठवणानामं तु सत्तविहं ॥८५॥से किं तं णक्खत्तणाम?, २ कित्तियाहिं जाए कित्तिए कित्तियादिण्णे कित्तियाधम्मे कित्तियासम्मे कित्तियादेवे कित्तियादासे कित्तियासेणे कित्तियारक्खिए रोहणीहिं जाए रोहिणिए रोहिणिदिने रोहिणिधम्मे रोहिणिसभ्मे रोहिणिदेवे रोहिणिदासे रोहिणिसेणे रोहिणिरक्खिए य, एवं सव्वनक्खत्तेसु नामा भाणियव्वा, एत्थं संगहणिगाहाओ कित्तिय रोहिणि मिगसिर अद्दा य पुणव्वसूय पुस्सेयोतत्तोय अस्सिलेसा महाउदो फागुणीओ य॥६॥हत्थो चित्ता साती विसाहा तह यहोइ अणुराहोजेवामूला पुव्वासाढा तह उत्तरा चेव॥७॥अभिई सवण पणिहासतभिसदा दोय होति भद्दवयारेवइ अस्सिणि भरणी एसा नक्खत्तपरिवाडी॥८॥से तं नक्खत्तनामे, से किं तं देवयाणामे?,२ अग्गिदेवयाहिं जाए अग्गिए अग्गिदिण्णे अग्गिसम्मे अग्गिधम्मे अग्गिदेवे अग्गिदासे अग्गिसेणे अग्गिरक्खिए, एवं सव्वनक्खत्तदेवयानामा भाणियव्वा, एत्थंपि संगहणिगाहाओ अग्गि पयावइ सोमे रुद्दो अदिती विहस्सई सम्प। पिति भग अज्जम सविया तट्ठा वाऊ य इंदग्गी॥९॥ भित्तो इंदा निरई आऊ विस्सो य बंभ विण्हू या वसु वरुण अयविवद्धि पूसे आसे जमे चेव॥९॥से तं देवयाणाम। ॥ श्री अनुयोगद्वारसूत्र। पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal
SR No.021047
Book TitleAgam 45 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages123
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_anuyogdwar
File Size11 MB
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