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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org खीणविरिय० अणंतराए निरंतराए खीणंतराए अंतर पकम्म विप्पमुक्के सिद्धे बुद्धे भुत्ते परिणिव्वुए अंतगडे सव्वदुक्खप्पहीणे, से तं खयनिष्कण्णे, से तं खइए। से किं तं खओवसमिए ?, २ दुविहे पं० तं० खओवसमिए य खओवसमनिष्फण्णे य, से किं तं खअ वसमे?, २ चउण्हं घाइकम्माणं खओवसमेणं, नं० - णाणावरणिजस्स दंसणावरणिजस्स मोहणिजस्स अंतरायस्स खओवसमेणं, से तं खओवसमे, से किं तं खओवसमनिष्फण्णे?, २ अणेगविहे पं० तं - खओवसमिया आभिणिबोहियणाणलब्द्धी जाव खओ० मणपज्जव० खओवसमिया मइअ० खओ० सुयअ० खओ० विभंगना० खओवसमिया चक्खुदंसणलद्धी अचक्खुदं० ओहि० एवं सम्म० मिच्छा० सम्ममिच्छा० खओवसमिया सामाइयचरितलद्धी एवं छेदोवट्ठावणलद्धी परिहारविसुद्धियलद्धी सुहमसंपरायचरित्तलद्धी एवं चरिताचरितलद्धी खओवसमिया दाणलद्धी एवं लाभ० भोग० उवभोग० खओवसमिया वीरियलद्धी एवं पंडियवीरियलद्धी बालवीरियलद्धी बालपंडियवीरियलद्धी खओवसमिया सोइंदियलद्धी जाव खओवसमिया फासिंदियलद्धी खओवसमिए आयारंगधरे एवं सुयगडंगधरे ठाणंगधरें समवायंगधरे विवाहपण्णत्तिधरे नाया धम्मकहा० उवासगदसा अंतगडदसा० अणुत्तरोववाइयदसा० पण्हावागरणधरे विवागसुयधरे खओवसमिए दिट्टिवायधरे खओवसमिए णवपुव्वी खओवसमिए जाव चउद्दसपुव्वी खओवसमिए गणी खओवसमिए वायए, से तं खओवसमनिम्फण्णे, | से तं खओवसमिए, से किं तं पारिणामिए ?, २ दुविहे पं० नं० - साइपारिणामिए य अणाइपारिणामिए य, से किं तं साइपारिणामिए?, ॥ श्री अनुयोगद्वारसूत्रं ॥ पू. सागरजी म. संशोधित ३८ Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir For Private And Personal
SR No.021047
Book TitleAgam 45 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages123
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_anuyogdwar
File Size11 MB
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