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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org | जइ आवस्सगस्स अणुओगो किं अंगं अंगाई सुअखंधो सुअखंधा अञ्झयणं अज्झयणाई उद्देसो उद्देसा?, आवस्सयं णं नो अंगं नो अंगाई सुअखंधो नो सुअखंधा नो अज्झयणं अज्झयणाई नो उद्देसो नो उद्देसा |६| तम्हा आवस्सयं निक्खिविस्सामि सुयं निक्खिविस्सामि खंधं निक्खिविस्सामि अज्झयणं निक्खिविस्सामि [७] जत्थ य जं जाणेज्जा निक्खेवं निक्खिवे निरवसेसं । जत्थविय न जाणेज्जा चउक्कगं निक्खिवे तत्थ ॥१॥ से किं तं आवस्सयं?, २ चउव्विहं पं० तं० - नामावस्सयं ठवणावस्सयं दव्वावस्सयं भावावस्सयं ८ । से किं तं नामावस्सयं?, जस्स णं जीवस्स वा अजीवस्स वा जीवाण वा अजीवाण वा तदुभयस्स वा तदुभयाण वा आवस्सएत्ति नामं कज्जइ, सेत्तं नामावस्सयं ।९। से किं तं ठवणावस्सयं?, २ जण्णं कटुकम्मे वा पोत्थकम्मे वा चित्तकम्मे वा लेष्पकम्मे वा गंथिमे वा वेढिमे वा पूरिमे वा संघाइमे वा अक्खे वा वराडए वा एगो वा अणेगो सम्भावठवणाए वा असम्भावठवणाए वा आवस्सएत्ति ठवणा ठविज्जइ, से तं ठेवणावस्सयं |१०| नामट्ठवणाणं को पइविसेसो ?, णामं आवकहियं, |ठवणा इंत्तरिया वा होज्जा आवकहिया वा ।११। से किं तं दव्वावस्सयं?, २ दुविहं पं० तं०-आगमओ य नोआगमओ य ।१२ । से किं तं आगमओ दव्वावस्सयं?, २ जस्स णं आवस्सएत्ति पदं सिक्खितं ठितं जितं मितं परिजितं नामसमं घोससमं अहीणक्खरं अणच्चक्खरं अव्वाइद्धक्खरं अक्खलियं अभिलियं अवच्चामेलियं पडिपुण्णं पडिपुण्णघोसं कंठोड ( दोस) विप्पमुक्कं गुरुवायणोवगयं, से णं तत्थ वायणाए पुच्छणाएं परियट्टणाए धम्मकहाए, नो अणुपेहाए, कम्हा?, अणुवओगो दव्व मितिकटु ॥ श्री अनुयोगद्वारसूत्रं ॥ पू. सागरजी म. संशोधित २ Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir For Private And Personal
SR No.021047
Book TitleAgam 45 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages123
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_anuyogdwar
File Size11 MB
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