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| गोयमा!॥५॥ अंतो हिअयसंभूया, लया चिटुइ गोयमा!। लेइ विसभक्खीणं, सा 3 उद्धरिया कह?॥६॥ तं लयं सव्वसो छित्ता,। उद्धरित्ता समूलिया विहरामि जहानायं, मुक्को मि विसभक्खणं ॥७॥ लया य इति का वुत्ता?, केसी० ॥८॥ भवतण्हा लया वुत्ता, भीमा भीमफलोदया। तमुच्छित्तु जहानायं, विहरामि महामुणी! ॥९॥ साह गोयम! पन्ना ते, छिन्नो मे संसओ इमो अन्नोऽवि संसओ मज्झंतं मे कहसंगोयमा! |८८०॥ संपज्जलिया घोरा. अम्गी चिदड गोयमा! जे डहतिजा डहेति) तुमे?॥१॥ महामेहपसूयाओ, गिज्झ वारि जलुत्तमा सिंचामि सययं तेउ, सित्ता नो व डहति मे॥२॥अग्गी य इइ के वुत्ते?, केसी०॥३|| कसाया अग्गिणो वुत्ता, सुअसीलतवो जली सुयधाराभिहया संता, भिन्ना हु न डहति ॥४॥ साहु गोयम! पन्ना ते, छिन्नो मे संसओ इमो। अन्नोऽवि संसओ मझं, तं मे कहसु गोयमा! ॥५॥ अयं साहस्सिओ भीमो, दुहस्सो परिधावई। जसि गोयम! आरूढो, कहं तेण न हीरसि?॥६॥ पहावंतं निगिण्हामि, सुयरस्सीसमाहियो न मे गच्छइ उम्मग्गं, मगं च पडिवज्जइ॥७॥ अस्से अ इइ के वुत्ते?, केसी गोयममब्बवी। तओ केसिं बुवंतं तु, गोयमो इणमब्बवी ॥८॥मणो साहस्सिओ भीमो, दुट्ठस्सो पनिधावइ। तं सम्म तु निगिण्हामि, धमसिक्खाइ कंथगं॥९॥ साहु गोयम! पन्ना ते, छिन्नो मे संसओ इमो. अन्नोऽवि संसओ मझं, तं मे कहसु गोयमा! ॥८९०॥ कुष्पहा बहवे लोए, जेसिं नासंति जंतवो। अद्धाणे कह वढेतो, तं न नाससि गोयमा!?॥१॥ जे मग्गेण गच्छंति, जे अ उम्मन्गपट्ठिया। ते सव्वे विइया भझं, तो न नस्सामऽहं मुणी!॥२॥ मागे अ इति के वुत्ते?, केसी गोयम० ॥३॥ कुष्पवयणपासंडी, ॥ श्रीउत्तराध्ययनसूत्रं ॥
पू. सागरजी म. संशोधित
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