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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandir | बोद्धव्वा, पंचहा जलयराऽऽहिया॥५॥ लोएगदेसे ते सव्वे, न सव्वत्थ वियाहिया। इत्तो कालविभागं तु, तेसिं वुच्छं चाविहं ॥६॥ संतई १५०॥७॥ इक्का य पुवकोडीओ, उक्कोसेण वियाहिया। आउठिई जलयराणं, अंतोमुहुत्तं जहन्नय॥८॥ पुव्वकोडीपुहुत्तं तु, उक्कोसेण वियाहिया। कायलिई जलयराणं, अंतोमुहुत्तं जहन्नय॥९॥ अणंतकालमुक्कोसं० जलयराणं तु अंतरं॥१५५०॥ एएसिं| वनओ०॥१॥ चउप्पया य परिसप्या, दुविहा थलया भवे। चउप्प्या चविही 3, ते मे कित्तयओ सुण॥२॥ एगखुरा दुखुरा चेव, गंडीपय सनष्फया। हयमाइ गोणमाई, गयमाई सीहमाइणो॥३॥ भुओरगपरिसप्पा, परिसय्या दुविहा भवे। गोहाई अहिमाईया, इक्किक्का गहा भवे॥४॥ लोएगदेसे ते सव्वे, न सव्वत्थ वियाहिया। इत्तो कालविभागं तु, तेसिं वुच्छं चव्विहं ॥५॥ संतइं| पप्प०॥६॥ पलिओवमा उ तित्रि 3, उक्कोसेण वियाहिया। आउठिई थलयराणं, अंतोमुत्तं जहन्नय॥७॥ पलिओवमा उ तिनि 3, उक्कोसेणं वियाहिया। पुवकोडीपुहत्तं तु, अंतोमुहत्तं जहन्नयं ॥८॥ कायठिई थलयाणं, अंतरं तेसिमं भवे। कालं अणंतमुक्कोस, अंतोमुहत्तं जहन्नयं॥९॥ विझमि सए काए, थ्लयराणं तु अंतरं। चम्मे 3 लोमपक्खीया, तइया समुग्गपक्खिया॥१५६०॥ विययपक्खी य बोद्धव्वा, पक्खिणो य चव्विहा। लोएगदेसे ते सव्वे, न सव्वत्थ वियाहिया॥१॥ संतई पथ्य० ॥२॥ पलिओवमस्स भागो, असंखिजइमो भवे। आउठिई खहयाणं, अंतोमुहुत्तं जहन्नयं॥३॥ असंखभागो पलियस्स, उक्कोसेण 3 साहिओ। पुव्वकोडीपुहुत्तेणं, अंतोमुहत्तं जहन्नय॥४॥ कायठिई खहयराणं, अंतरं ते( रेयं )वियाहियो अणंतकालमुक्कोस, अंतोमुहत्तं ॥ श्रीउत्तराध्ययनसूत्रं ॥ | १०८ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal
SR No.021045
Book TitleAgam 43 Mool 04 Uttaradhyayan Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages126
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_uttaradhyayan
File Size11 MB
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