SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 106
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsun Gyanmandir सरागे वीयरागे वा, उवसंते जिइंदिए। एय०, सुक्कलेसं तु परिण॥३॥ अस्संखिजाणोसप्पिणीण उस्सप्पिणीण जे समया। संखाईया | लोगा लेसाण हवंति ठाणाई॥४॥ मुत्तद्धं तु जहन्ना तित्तीसा सागरा मुहुत्तहियो उक्कोसा होइ ठिई णायव्वा किण्हलेसाए॥५॥ मुहुत्तद्धं तु जहन्ना दसउदहिपलियमसंखभागमब्भहिया नीललेसाए॥६॥मुहुत्तद्धं तु जहन्ना तिण्णुदही पलियमसंखभागमभहिया० काउलेसाए॥७॥ मुहुत्तद्धं तु जहन्ना दोण्हुदही पलियमसंखभागमभहिया० तेउलेसाए॥८॥ मुहुत्तद्धं तु जहन्ना दसउदही होइ मुहुत्तमब्भहिया।० पम्हलेसाए॥९॥ मुहुत्तद्धं तु जहन्ना तित्तीसं सागरा मुहुत्तहिया० सुक्कलेसाए०॥१३३०॥ एसा खलु लेसाणं ओहेण ठिई उ वणिया होइ। चउसुवि गईसु इत्तो लेसाण ठिई 3 वुच्छामि॥१॥ दसवाससहस्साई काऊइ ठिई जहनिया होइ। तिनोदही पलियअसंखेजभागं च उक्कोसा॥२॥ तिण्णुदहीपलिओवभमसंखभागो जहन्न नीलठिई। दसउदहीपलिओवमभसंखभाग च उक्कोसा॥३॥ दसउदहीपलिओवममसंखभागं जहनिया होइ। तित्तीससागराई उक्कोसा होइ किण्हाए॥४॥ एसा नेरइयाणं लेसाण ठिई 3 वणिया होइ तेण परं वुच्छामि तिरियमणुस्साण देवाणं॥५॥ अंतो मुहत्तमद्धं लेसाण ठिई जहिं जहिं जा 31 तिरियाण नराणं वा वज्जित्ता केवलं लेस६॥ मुहुत्तद्धं तु जहन्ना उक्कोसा होइ पुव्वकोडी 30 नवहिं वरिसेहिं ऊणा नायव्वा सुक्कलेसाए॥७॥ एसा तिरियनराणं लेसाण ठिई 3 वणिया होइ। तेण परं वुच्छामि लेसाण ठिई 3 देवाण ८॥ दसवाससहस्साई किण्हाए लिई जहन्निया होइ। पलियमसंखिज्जइमो उक्कोसो होइ किण्हाए॥९॥ जा किण्हाइ ठिई खलु उक्कोसा सा उ समयमब्भहिया। जहन्त्रेणं || श्रीउत्तराध्ययनसूत्रं ॥ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal
SR No.021045
Book TitleAgam 43 Mool 04 Uttaradhyayan Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages126
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_uttaradhyayan
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy