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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org आलोइयनिंदिओ गुरुसगासे । होइ अतिरेगलहुओ ओहरियभरोव्व भारवहो ॥७॥ उद्धरियसव्वसल्लो भत्तपरित्राए धणियमाउत्तो । मरणाराहणजुत्तो चंदगवेज्झं समाणेइ ॥ ८ ॥ आराहणाइ जुत्तो सम्मं काऊण सुविहिओ काल। उक्कोसं तिन्त्रि भवे गंतूण लभेज | निव्वाणं ॥९॥ एसा सामायारी कहिया भे धीरपुरिसपत्रत्ता। संजमतवड्ढगाणं निग्गंथाणं महरिसीणं ॥ ८१०॥ एवं सामायारिं जुंजंता चरणकरणमा उत्ता। साहू खवंति कम्मं अणेगभवसंचियमणंतं ॥१॥ एसा अणुग्गहत्था फुडवियडविसुद्धवंजणाइन्ना। इक्कारसहिं सएहिं एगुणवन्नेहिं संमत्ता ॥ ८१२॥ भाष्यगाथाः ३२२ । प्रशिक्ष्यात २७ ॥ इति श्री ओघनिर्युक्तिः सूत्रं सम्मत्तं ॥ प्रभु महावीरस्वामीनी पट्टपरंपरानुसार कोटीगण - वैरी शाखा - चान्द्रकुल प्रचंड प्रतिभा संपन्न, वादी विजेता परमोपास्य पू. मुनि श्री झवेरसागरजी म.सा. शिष्य बहुश्रुतोपासक, सैलाना नरेश प्रतिबोधक, देवसूर तपागच्छ, समाचारी संरक्षक, आगमोध्धारक पूज्यपाद आचार्यदेवेश श्री आनंदसागर सूरीश्वरजी महाराजा शिष्य प्रौढ प्रतापी-सिध्धचक्र आराधक समाज संस्थापक पूज्यपाद आचार्य श्री चन्द्रसागर सूरीश्वरजी म. सा. शिष्य चारित्र चूडामणी, हास्य विजेतामालवोध्यारक महोपाध्याय श्री धर्मसागरजी म.सा. शिष्य आगम विशारद, नमस्कार महामंत्र समाराधक पूज्यपाद पंन्यास प्रवर श्री अभयसागरजी म. सा. शिष्य शासन प्रभावक, नीडर वक्ता पू. आ. श्री | अशोकसागर सूरिजी म.सा. शिष्य परमात्म भक्ति रसभूत पू. आ. श्री जिनचन्द्रसागर सू.म.सा. लघुगुरु भ्राता प्रवचन प्रभावक पू.आ. श्री हेमचन्द्रसागर म. सा. शिष्य पू. गणी श्री पूर्णचन्द्रसागरजी म.सा. आ आगमिक सूत्र अंगे सं. २०५८ / ५९ / ६० वर्ष ॥ श्री ओघनियुक्तिसूत्रं ॥ पू. सागरजी म. संशोधित ७६ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private And Personal Use Only
SR No.021043
Book TitleAgam 41 Mool 02 Ogh Pind Niryukti Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages147
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_oghniryukti
File Size11 MB
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