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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir होइ पुरिसो दुगाइछट्ठाणपज्जवसिएसुं।अपुमंतु तिभागाइं सत्तमभागे अवसिते ॥४॥दुविहो य होइ भावो लोइय लोउत्तरो समासेणी एक्किक्कोविय दुविहो पसत्थओ अप्पसत्थो यो५॥ सझिलगा दो वणिया गाम गंतूण करिसणारंभो। एगस्स देहमंडणबाउसिआ भारिया अलसा॥६॥ मुहयोवण दंतवणं अहागाईण कल आवासो पुव्वण्हकरणमप्पण उक्कोसयरं च मझण्हे ॥७॥ तणकट्ठहारगाणं न देइ न य दासपेसवग्गस्सा न य पेसणे निउंजइ पलाणि हिय हाणि गेहस्स॥८॥ बिइयस्स पेसवगं वावारे अनपेसणे कम्मे काले देहाहारं सयं च उवजीवई इड्ढी॥९॥ वनबलरूवहे आहारे जो तु लाभ लभते। अतिरेगन 3 गिण्हइ | पाउग्गगिलाणमाईणी५००॥जह सा हिरण्णमाइसु परिहीणा होइ दुक्खआभागी एवं तिगपरिहीणा साहू दुक्खस्स आभागी॥१॥ आयरियगिलाणहा गिण्ह न महंति एव जो साहू नो वनरूवहेउं आहारे एस 3 पसत्थो॥२॥ उग्गमउप्यायणएसणाए बायाल होति | अवराहा।सोहेउं समुयाणं पडुपने वच्चए वसहिं ॥३॥ सुन्नघरदेउले वा असई य उवस्सयस्स वा दारे। संसत्तकंटगाई सोहेउमुवस्सगं| | पविसे ॥४॥ संसत्तं तत्तो च्चिय परिवेत्ता पुणो दवं गिण्हे। कारण मत्तयगहियं पडिग्गहे छोद पविसणया॥५॥ गामे य कालमाणे पहुच्चमाणे हवंति भंगठ्ठो काले अपहप्ते नियत्तई सेसए भयणा॥६॥ अण्णं च वए गाभं अण्णं भाणं व गेण्ह सइ काले। पढमे वितिए छप्पंचमे य भय सेस य नियत्ते॥७॥वोसिठ्ठमागयाणं उव्वासिय मत्तए य भूमितियो पडिलेहियमत्थमणं सेसऽथमिए जहनो३॥८॥भुत्ते वियारभूमी गयागयाणं तुजह यओगाहे।चरमाए पोरिसीए उक्कोसो सेस मज्झिमओ॥९॥पायप्पमज्जण निसीहिया ॥श्री ओघनियुक्तिसूत्र॥ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only
SR No.021043
Book TitleAgam 41 Mool 02 Ogh Pind Niryukti Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages147
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_oghniryukti
File Size11 MB
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