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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वीसं अंगुला इंति॥७॥ मज्जा रभूसगाइ य नवि वारे नवि य जाणुघट्टणया। दो हत्था य अबाहा नियमा साहुस्स साहूओ॥८॥ भुत्ताभुत्तसमुत्था भंडणदोसा य वजिआ एवं। सीसंतेण व कुड्डं तु हत्थं मोत्तूण ठायंति॥९॥ पुव्वुद्दिवो 3 विही इहवि वसंताण होइ सो वो आसज तित्रि वारे निसत्र आउंटए सेसा ॥२३०॥आवस्सिअमासजं नीइ पमजंतु जाव उच्छन्त्री सागारिय तेणुब्भामए य संका तउ परेणं॥१॥ नत्थि ३ पमाणजुत्ता खुड्डलिया चेव वसति जयणाए। पुरहत्य पच्छ पाए पमज जयणाए निग्गमणं॥२॥ उस्सीस भायणाई मझे विसमे अहाकडा उवशिओवगहिओ दोरो तेण य वेहासि लंबणया॥३॥खुड्डलियाए असई विच्छिन्नाए 3 मालणा भूमी। बिलधम्मो चारभडा साहरणेगंतकडपोत्ती॥४॥ असई य चिलिमिलीए भए व पच्छन्न भूइए लक्खेआहारा | नीहारो निगमणपवेस वजेह ॥५॥ पिंडेण सुत्तकरणं आसज निसीहियं च न करिति। कासण न पमजणया न य हत्थो जयण वेरति॥ वसहित्तिोपत्ताण खेत्त जयणा काउणावस्सयंतत्तो ठवणा। पडणीयपत्त( सम्मत्त मामग भद्दग सद्धे य अचियत्ते॥७॥ बाहिरगामे वुच्छ। उजाणे वाणवसहिपडिलेहा। इहरा 3 गहिअभंड। वसही वा पाय उड्डाहो ॥१०४॥भा०। मइल कुचेले अब्भंगिएल्लए साण खुज वडभे या। एए 3 अप्पसत्था हवंति खित्ताउ निंताणं॥५॥ नारी पीवरगब्मा वड्डकुमारी य कट्ठभारो यो कासायवत्थ कुच्चंधरा य कजं न साहेति॥६॥ चक्षयरंमि भमाडो भुक्खामारो य पंडुरंगंमि। तच्चनि रुहिरपडणं बोडियमसिए धुवं मरणं॥७॥ जंबू चास मउरे भारदाए तहेव नउले यो दसणमेव पसत्थं पयाहिणे सव्वसंपत्ती॥८॥ नंदी तूरं पुण्णस्स दंसणं ॥श्री ओधनियुक्तिसूत्र। पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only
SR No.021043
Book TitleAgam 41 Mool 02 Ogh Pind Niryukti Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages147
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_oghniryukti
File Size11 MB
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