SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 144
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सरीरवोच्छेयणट्ठया होअणाहारो॥८॥सोलस उग्गमदोला सोलस उपायणाए दोसा । दस एसणाए दोसा संजोयणमाइ पंचेव॥९॥ एसो आहारविही जह भणिओ सव्वभावदंसीहिंधम्मावस्सगजोगा जेणन हायंति तं कुज्जा ॥६७०॥ जा जयभाणस्स भवे विराहणा सुत्तविहिसभागस्सा सा होइ निजरफला अन्झत्थविसोहिजुत्तस्स॥६७१॥ भु महावीरस्वामीनी पट्टपरंपरानुसार कोटीगण-वैरी शाखा-चान्द्रकुल प्रचंड प्रतिभा संपन्न, वादी विजेता परमोपास्य पू. मुनि श्री झवेरसागरजी म.सा. शिष्य बहुश्रुतोपासक, सैलाना नरेश प्रतिबोधक, देवसूर तपागच्छ, समाचारी संरक्षक, आगमोध्धारक पूज्यपाद आचार्यदेवेश् श्री आनंदसागर सूरीश्वरजी महाराजा शिष्य प्रौढ प्रतापी-सिध्धचक्र आराधक समाज संस्थापक पूज्यपाद आचार्य श्री चन्द्रसागरसूरीश्वरजी म. सा. शिष्य चारित्र चूडामणी, हास्य विजेतामालवोध्धारक महोपाध्याय श्री धर्मसागरजी म.सा. शिष्य आगम विशारद, नमस्कार महामंत्र समाराधक पंन्यास प्रवर श्री अभयसागरजी म. सा. शिष्य शासन प्रभावक, नीडर वक्ता पू. आ. श्री अशोकसागर सूरिजी म.सा. शिष्य परमात्म भक्ति रसभूत पू. आ. श्री जिनचन्द्रसागर सू.म.सा. लघुगुरुभ्राता प्रवचन प्रभावक पू.आ. श्री हेमचन्द्रसागर म.सा. शिष्य पू. गणी श्री पूर्णचन्द्रसागरजी म. सा. आ आगमिक सूत्र अंगे सं. २०५८ /५९/६० वर्ष दरम्यान संपादन कार्य माटे महेनत करी प्रकाशन दिने पू. सागरजी म. संस्थापित प्रकाशन कार्यवाहक जैनानंद पुस्तकालय, सुरत द्वारा प्रकाशित करेल छे... श्री पिण्डनियुक्ति सूत्र ४७ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only
SR No.021043
Book TitleAgam 41 Mool 02 Ogh Pind Niryukti Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages147
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_oghniryukti
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy