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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir | तो पंचभी 3 भणिया किमत्थि अन्नेऽवि अणुओगा?॥४॥ चत्तारि 3 अणुओगा चरणे धम्म गणियाणुओगे यो दवियाणुजोगे य | तहा अहक्कभं ते महिड्ढीया॥५॥ सविसयबलवत्तं पुण जुजुइ तहविअ महिड्ढिअंचरणी चारित्तरखणट्ठा जेणिअरे तिन्नि अणुओगा॥६॥चरणपडिवत्तिहे धमकहाकालदिक्खमाईआ।दविए सणसुद्धी सणसुद्धस्स चरणं तु ॥७॥जह रण्णो विसएसुं वयरे कणगे अस्यय लोहे ओचत्तारि आगरा खलु चण्ह पुत्ताण ते दिना॥८॥ चिंता लोहागरिए पडिसेहं सो उ कुणइ लोहस्स। वयराईहि अगहणं करिति लोहस्स तिन्नियः॥९॥ एवं चरणमि ठिओ करेइ गहणं विहीइ इयरेसिं। एएणकारणेणं हवइ 3 चरणं महड्ढी॥१०॥ अप्पक्खरं महत्थं महक्खरऽप्यत्थ दोसुऽवि महत्थीदोसुवि अपंच तहा भणिअंसत्थं चविगप्पं ॥१॥सामायारी आहे नायज्झयणाय दिहिवाओ योलोइअप्पासाई अणुक्कमा कारगा चउरो॥२॥ बालाईणऽणुकंपा संखडिकरणमि होअगारीणी ओमे य बीयभत्तं रण्णा दिन जणवयस्स॥३॥ भा०। एवं थेरेहिं इमा अपावमाणाण पयविभागं तु साहूणऽणुकंपट्टा उवइट्ठा ओहनिजुत्ती॥४॥भाध्या पडिलेहणं च पिंडं उवहिपमाणं अणाययणवजी पडिसेवणमालोअण जह य विसोही सुविहियाण॥३॥ आभोग मग्गण गवेसणा य ईहा अपोह पडिलेहा। पेक्खण निरिक्षणाविय आलोय पलोयणेगहा॥४॥ पडिलेहओ य पडिलेहणा य पडिलेहियव्वयंचेव। कुंभाइसु जह तित्यं परुवणा एवमिहयंपि॥५॥ एगो व अणेगो वा दुविहा पडिलेहगासमासेणी ते दुविहा नायव्वा निक्कारणिआय कारणिआ६॥ असिवाई कारणिआ निक्कारणिआय चक्थूभाई। तत्थेगं कारणिअंवोच्छं ठप्पा 3 ॥श्री ओपनियुक्तिसूत्र] पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only
SR No.021043
Book TitleAgam 41 Mool 02 Ogh Pind Niryukti Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages147
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_oghniryukti
File Size11 MB
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