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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तीसुवि अकप्पी पडिकुटुं तत्थत्थं अन्नत्थगयं अणुनाय॥२॥ कम्भियकद्दममिस्सा चुल्ली उक्खा य फड्डगजुया 31 उवगरणपूइमेयं डोए दंडे व एगयरे॥३॥ दव्वीछूटेत्ति जं वुत्तं, कम्मदव्वीए जं दए। कम्मं घट्टिय सुद्धं तु, घट्टए (टेआ) हारपूइयं॥४॥ अत्तद्विय आयाणे डायं लोणं च कम्म हिंगुं वा तं भत्तपाणपूई फोडण अन्नं व जं छुहइ ॥५॥ संकामे कम्मं सिद्धं जंकिंचि तत्थ छूट वा। अंगारधूमि थाली वेसण हेट्ठा मुणीहि( कम्भियवेसण अंगारथाली हेट्ठामुही) धूभो॥६॥ इंधणधूमेगंधेअवयवमाईहिं सुहुमपूई । सुंदरमेयं पूई चोयग भणिए गुरू भणइ॥७॥ इंधणधूमेगंधे अवयवमाई न पूइयं होइ। जेसिं तु एस पूई सोही नवि विजए तेसिं॥८॥ इंधणअगणीअवयव धूमो बप्फो य अत्रगंधो या सव्वं फुसंति लोयं भनइ सव्वं तओ पूई ॥९॥ नणु सुहुमपूइयस्सा पुव्वुविस्सऽसंभवो एवं। इंधणधूमाईहिं तम्हा पूइत्ति सिद्धमिण॥२६०॥ चोयग! इंधणमाईहिं चहिवि सुहुमपूइयं होइ। पन्नवणामित्तमियं परिहरणा नत्युि एयस्स॥१॥ सज्झमसझंकज सझं साहिज्जए न 3 असोजो उ असझं साहइ किलिस्सइ नतं च साहेई॥२॥आहाकम्मियभायणपफोडण काउ अकयए कप्पो गहियं तु(ति)सुहुमपूई धोवणमाईहिं परिहरणा॥३॥धोयंपि निराक्यवं न होइ आहच्च कम्मगहणमि। न य अहव्वा 3 गुणा भन्नई सुद्धा कओ एवं?॥४॥ लोएवि असुइगंधा विपरिणया दूरओ न दूसंदि। न य मारंति परिणया दूरगाय अवि विसावयवा॥५॥ सेसेहि ३ दहिं जावइयं फुसइ तत्तियं पूई। लेवेहि तिहि उपई कप्पड़ कप्पे कर तिगुणे॥६॥ इंधणमाई मोत्तुं चउरो सेसाणि होति दव्वाइंतेसिं पुण परिमाणं त्यप्पमाणाउ आरब्भ७॥ श्री पिण्डनियुक्ति सूत्र पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only
SR No.021043
Book TitleAgam 41 Mool 02 Ogh Pind Niryukti Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages147
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_oghniryukti
File Size11 MB
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