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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तयं गच्छं ॥८॥ अववाएणवि कारणवसेण अज्जा चउण्हभूणा। गाऊयमवि परिसकंति जत्थ तं केरिसं गच्छं?॥९॥ जत्थ य गोयम! साहू अजाहिं समं पहंमि अठूा । अववाएणवि गच्छेज्ज तत्थ गच्छंमि का मेरा?॥८०॥ जत्थ् य तिसद्धिभेयं चक्खूरागम्गिदीरणिं साहू। अज्जाउ निरिक्खेज्जा तं गोयम! केरिसं गच्छं?॥१॥ जत्थ य अजालद्धं पडिग्गहदंडादिविविहमुक्मरणी परिभुजइ साहहिं तं गोयम! केरिसं गच्छं?॥२॥ अइदुलहं भेसज्ज बलबुद्धिविवद्धणंपि पुद्धिकर। अज्जालद्धंभुंजई का मेरा तत्थ गच्छंमि?॥३॥ सोऊण गई सुकुमालियाएतह ससगभसगभइणीए। ताव न वीससियव्वं सेयट्ठी धम्मिओ जाव॥४॥ दढचारित्तं भोत्तुं आयरियं मयहरं च गुणरासिं।अज्जा वट्टावेई तं अणगारं नतं गच्छं ॥५॥धणगणि(च्छि )यहयकुहुकुहुयवेजदुग्गेझमूढहिययाउ। होज्जा वावारियाओ इत्थीरजंन तं गच्छं॥६॥ पच्चक्खा सुयदेवी तवलद्धीएसुराहिवणुयावि। जत्थ रिएऽज्जा कज्जाई इत्थीरज न तं गच्छं ॥७॥ गोयम! पंचमहव्वय गुत्तीणंतिण्ह पंचसमिईणी दसविहधम्मस्सिकं कहवि खलिज्जइन तं गच्छं॥८॥ | दिणदिक्खियस्स दमगरस अभिमुहा अजचंदणा अजा। निच्छइआसणगहणं सो विणओसव्वअजाणं॥९॥ वाससयदिक्खियाए अजाए अज्जदिक्खिओसाहू। भत्तिभरनिब्भराए वंदणविणएण सो पुजो॥९०॥ अज्जियलाभे गिद्धा सए लाभेण जे असंतुह। भिक्खायरियाभग्गा अनियउत्तं गिराऽऽहेति॥१॥ गयसीसगणं ओमे भिक्खायरियाअपच्चलं थे। गणिहिंतिण तेपावे अज्जियलाभ गवसंता॥२॥ ओमे सीसपवासंअपडिबद्धं अजंगमत्तं च णगणेज्जएगखेत्तेगणेज वासं णिययवासी ॥३॥ आलंबणाणभरिओ ॥ श्री महानिशीथसूत्रं ॥ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only
SR No.021041
Book TitleAgam 39 Chhed 06 Mahanishith Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages239
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_mahanishith
File Size15 MB
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