SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 110
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir व्यावच्चेइरियट्ठाएयसंजमट्ठाए।तहपाणवत्तियाएछटुं पुणधम्मचिंताए॥३॥अप्युव्वनाणगहणे थिरपरिचियधारणेकमुजुत्ते।सुत्तंअत्यंउभयं जाणंतिअणुयंतिसया॥४॥ अनाणदसणचारित्तायार णवच्उकमि। अणिगूहियबलवीरिएअगिलाए धणियमाउत्ते॥५॥ गुरुणा खरफसाणिट्ठदुनिठुरगिराए सयहत्ती भणिरेणोपडिसूरितिजत्थ सीसेतयंगच्छं ॥६॥ तवसा अचिंतउप्पनलद्धिसाइसथरिद्धिकलिएवि। जत्थ न हीलंतिगुरू सीसे तं गोयमा! गच्छं ॥७॥ तेसहि तिसयपावाउयाणविजयाविढत्त्जसपुंजे। जत्थ न हीलंति गुरुं सीसे तं गोयमा! गच्छं ॥८॥ जत्थाखलियममिलियंअव्वाइद्धंप्यक्खर विसुद्ध। विणओवहाणपुव्वं दुवालसंगपि सुयनाणं॥९॥ गुरुचलणभत्तिभरनिभरिकपरिओसलद्धमालावे। अज्झीयंति सुसीसा एगग्गमणा स गोयमा! गच्छं॥४०॥ सगिलाणसेहबालाउलस्सगच्छस्स दसविहं विहिणा। कीरइ वेयावच्चं गुरुआणत्तीए तं गच्छं ॥१॥दसविहसामायारी जत्थ ठिए भव्वसत्तसंधाए। सिझं त्य बुच्छंति यण य खंडिजइ तयं गच्छं ॥२॥ इच्छ। मिच्छ। तहकारो, आवस्सिया य निसीहिया। आपुच्छणा य पडिपुच्छा, छंदणा य निमंतणा॥ उवसंपयाय काले सामायारी भवे दसविह। 3॥३॥ जत्थ य जिट्ठकणिहा जाणिजइ जेविणयबहुभाणी दिवसेणवि जो जेट्ठो णो हीलिजइ त्यं गच्छं॥४॥ जत्थ य अज्जाकल्प पाणच्चाएवि रोरदुभिक्खे। ण य परिभुज्जइ सहसा गोयम! गच्छं त्यं भणियं ॥५॥ जत्थ य अजाहिं समं थेराविणउल्लवंतिगयदसणाण य णिज्झायंतित्थीअंगोवंगाई तं गच्छं ॥६॥ जत्थ्य सन्नहि उखड आहडमादीण नामगहणेऽवि। पूईकम्मा भीए आउत्ता कप्पतिप्पंमि॥७॥ जत्थ् य ॥ श्री महानिशीथसूत्रं ॥ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only
SR No.021041
Book TitleAgam 39 Chhed 06 Mahanishith Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages239
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_mahanishith
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy