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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobetirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तस्स अणिदाणस्स इमेयारूवे कल्लाणे फलविवागे जं तेणेव भवग्गहणेणं सिझति जाव सव्वदुक्खाणमंतं करेति ५५ तते णं ते बहवे निग्गंथा य निग्गंथीओ य समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए एयमढे सोच्चा निसम्म समणं भगवं महावीरं वंदंति नमसंति त्ता तस्स ठाणस्स आलोएंति पडिक्कमति जाव अहारिहं पायच्छित्तं तवोकम्म पडिवनंति५६। तेणं कालेणं० समणे भगवं महावीरे रायगिहे नगरे गुणसिलए चेइए बहूणं समणाणं बहूणं समणीणं बहूणं सावगाणं बहूणं सावियाणं बहूणं देवाणं बहूणं देवीणं सदेवमणुयासुराए परिसाए मझगए एवं आइक्खइ एवं भासइ एवं पण्णवेइ एवं पवेइ आयातिठाणनाम अझयणं सअटुं सहेउयं सकारणं ससुत्तं सअत्थं सतदुभयं सवागरणं जाव भुजो भुजो उवदंसेतित्ति बेमि ९७आयातिस्थानाध्ययनं १०॥ आयारदसाओ दशाश्रुतस्कंधच्छेदसूत्रं सम्मत्तीप्रभु महावीरस्वामीनी पट्टपरंपरानुसार कोटीगण-वैरी शाखा-चान्द्रकुल प्रचंड प्रतिभा संपन्न, वादी विजेता परमोपास्य पू. मुनि श्री झवेरसागरजी म.सा. शिष्य बहुश्रुतोपासक, सैलाना नरेश प्रतिबोधक, देवसूर तपागच्छ, समाचारी संरक्षक, आगमोध्धारक पूज्यपाद आचार्यदेवेश् श्री आनंदसागर सूरीश्वरजी महाराजा शिष्य प्रौढ प्रतापी-सिध्धचक्र आराधक समाज संस्थापक पूज्यपाद आचार्य श्री चन्द्रसागर सूरीश्वरजी म. सा. शिष्य चारित्र चूडामणी, हास्य विजेतामालवोध्धारक महोपाध्याय श्री धर्मसागरजी म.सा. शिष्य आगम विशारद, नमस्कार महामंत्र समाराधक पूज्यपाद पंन्यास प्रवर श्री अभयसागरजी म. सा. शिष्य शासन प्रभावक, नीडर वक्ता पू. आ. श्री अशोकसागर सूरिजी म.सा. शिष्य परमात्म भक्ति रसभूत पू. आ. श्री ॥ श्रीदशाश्रुतस्कंधसूत्र | ४० पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only
SR No.021039
Book TitleAgam 37 Chhed 04 Dashashrutskandh Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages55
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_dashashrutaskandh
File Size8 MB
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