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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पडिवण्णस अगणारस्स कप्पइ एगा दत्ती भोयणस्स पडिगाहित्तए एगा पाणगस्स, अण्णाउंछ सुद्धोवहडं निहित्ता बहवे दुप्पयचउप्प्यसमणमाहणअतिहिकिविणवणिमगा, कप्पइ से एगस्स भुंजमाणस्स पडिगाहित्तए, णो दुहं णो तिण्हं णो चउण्हं नो पंचण्हं णो गविणीए णो बालवच्छाए णो दारगं पेजमाणीए नो अंतो एलुयस्स दोवि पाए साहटु दलमाणीए नो बाहिं एलुयस्स दोवि पाए साहटु दलमाणीए, एगं पाए अंतो किच्चा एगं पायं बाहिं किच्चा एलुयं विक्खंभइत्ता एवं दलयति एवं से कप्पति पडिगाहित्तए, एवं से नो दलयति एवं से नो कप्पइ पडिगाहित्तए, मासियं णं भिक्खुपडि पडिवण्णस्स अणगारस्स तओ गोयरकाला पं० तं०-आदिमे मज्झिमे चरिमे, आदि चरेजा णो मझे चरिजा णो चरिमे चरिज्जा, मझे चरेजा नो आइ चरेजा नो चरिमे चरेज्जा, चरिमं चरेजा नो आदिमं चरेजा नो मझे चरेज्जा, मासियं णं भिक्खुपडिमं पडिवण्णस्स अणगारस्स छव्विहा गोयरचरिया पं० तं०-पेला अद्धपेला गोमुत्तिया पयंगवीथिका संबुकावट्टा गंतुं पच्चागया, भासियं णं भिक्खुपडिम पडिवण्णस्स अणगारस्स जत्थ णं केइ जाणति कप्पड़ से तत्थ एगराइयं वसित्तए, जत्थ णं केइ न जाणइ से कप्पति तत्थ् एगरायं वा दुरायं वा वसित्तए, नो कप्पड़ एगरायाओ वा दुरायाओ वा परं वत्थए, जं तत्थ् एगारायाओ वा दुरायाओ वा परं वसति से संतरा छेदे वा परिहारे वा, मासियं णं भिक्खुपडिम पडिवण्णस्स कप्पंति चत्तारि भासाओ भासित्तए तं०-जायणी पुच्छणी अणुण्णवणी पुटुस्स वागरणी, | मासियं णं भिक्खुपडिम पडिवण्णस्स० कक्ष्यति तओ उवस्सगा पडिलेहित्तए तं०-अहे आरामगिहंसि वा अहे वियडगिहंसि वा ||श्रीदशाश्रुतस्कंधसूत्र। | १८ । पू. सागरजी म. संशोधित||| For Private And Personal Use Only
SR No.021039
Book TitleAgam 37 Chhed 04 Dashashrutskandh Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages55
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_dashashrutaskandh
File Size8 MB
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