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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir एगनिक्खमणपवेसाए नो कप्पइ बहूणं अगडसुयाणं एगयओ वत्थए, अत्य् ियाइ ण्ह केइ आयरपकप्पधरे नत्यि याइ ण्हं || केइ छेए वा परिहारे वा, नत्यि याइ ण्हं केइ आयारपकप्पधरे सव्वेसिं तेसिं तप्पत्तियं छेए वा परिहारे वा। से गामंसि वा जाव संनिवेसंसि वा अभिनिव्वगडाए अभिनिदुवाराए अभिनिक्खमणपवेसणाए नो कप्पइ बहूणं अगडसुयाणं एगयओ वत्थए, अत्यि याइ ण्हं केइ आयारपकप्पधरे ते जप्पत्तियं रणिं संवसइ नत्थि या इत्थं केइ छेए वा परिहारे वा, नत्थि या इत्य केइ आयारपकप्पधरे जे तप्पत्तियं स्यणिं संवसइ सव्वेसिं तेसिं तप्पत्तियं छेए वा परिहारे वा २९८५ से गामंसि वा जाव संनिवेसंसि वा अभिनिव्वगडाए अभिनिदुवाराए अभिनिक्खमणपवेसणाए नो कप्पइ बहुसुयस्स बझागमस्स एगाणियस्स भिक्खुस्स वत्थए, किमंग पुण अप्पसुयस्स अप्पागमस्स भिक्खुस्सा६। से गामंसि वा जाव संणिवेसंसि वा एगवगडाए | एगदुवाराए अभिनिक्खमणपवेसाए कप्पड़ बहुस्सुयस्स बझागमस्स एगाणियस्स भिक्खुस्स वत्थए दुहओ कालं भिक्खुभावं पडिजागरमाणस्स '३५७१७) जत्थ एए बहवे इत्थीओ अ पुरिसा अ पण्हायन्ति तत्थ से समणे निग्गंथे अत्रयरंसि अचित्तंसि सोयंसि सुकपोग्गले निग्धाएमाणे हत्थकम्मपडिसेवणपत्ते आवजइ मासियं परिहारहाणं अणुग्घाइयं, निग्धाएमाणे मेहुणपडिसेवणपत्ते आवजइ चाउम्मासियं परिहाखाणं अणुग्धाइयं ३६७१८१ नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा निग्गथिं अण्णगणाओ आगयं खुयायारं सबलायारं भिन्नायारं संकिलिट्ठायारचरित्तं तस्स ठाणस्स अणालोयावेत्ता अपडिकमावेत्ता श्री व्यवहारसूत्रम् ॥ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only
SR No.021038
Book TitleAgam 36 Chhed 03 Vyavahara Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages49
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_vyavahara
File Size5 MB
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