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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वा॥१५० पंचमासियं वा॥१६० साइरेगपंचमासियं वा १७ एवं चेव भाणियव्वं जा छम्मासा '५३५११८१ जे भिक्खू चाउम्मासियं वा साइरेगचाउम्मासियं वा पंचमासियं वा साइरेगपंचभासियं वा एएसिं परिहारद्वाणाणं अन्नयरं परिहाराणं पडिसेवित्ता आलोएज्जा, अपलिउंचिययं आलोएमाणस्स ठवणिज ठवइत्ता करणिज्जं वेयावडियं, ठविएवि पडिसेविया सेविकसिणे तत्थेव आरुहेयन्वेसिया, पुदि पडिसेवियं पुछि आलोइयं, पुदि पडिसेवियं पच्छ। आलोइयं, पच्छ। पडिसेवियं पुब्दि आलोइयं, पच्छ। पडिसेवियं पच्छ। आलोइयं, अपलिचिए अपलिचियं, अपलिचिए पलिउंचियं, पलिचिए अपलिचियं, पलिउंचिए पलिचियं, आलोएमाणस्स सव्वमेयं सक्यं साहणियं जे एयाए पट्ठवणाए पढविए निव्विसमाणे पडिसेवेइ सेवि कसिणे तत्थेव आरुहेयवे सिया१९॥ एवं बहुसोवि जे भिक्खू चाउम्भासियं वा साइरेगचाउम्भासियं वा पंचमासियं वा साइरेगपंचमासियं वा एएसिं परिहारहाणाणं अण्णयरं परिहारहाणं पडिसेवित्ता आलोएज्जा पलिउंचियं आलोएमाणस्स ठवणिज्ज ठवइत्ता करणिज्जं वेयावडियं जाव पच्छ। पडिसेवियं पच्छ। आलोइयं जाव पलिचिए आलोएमाणस्स सव्वमेयं सकयं साहणियं आरुहेयव्वं सिया, एवं अपलिउँचिए'६०११२० जे भिक्खू चाउम्मासियं वा० आलोएज्जा, पलिचियं आलोएमाणस्स० पलिउंचिए पलिचियं, पलिचिए पलिचियं आलोएमाणस्स आरुहेयव्वे सिया।२१। जे भिक्खू बहुसोवि चाउम्भासियं वा बहुसोवि साइरेग० वा० आरुहियव्वे सिया '६२६१२२। बहवे पारिहारिया बहवे अपारिहारिया इच्छेना ॥ श्री व्यवहारसूत्रम् ॥ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only
SR No.021038
Book TitleAgam 36 Chhed 03 Vyavahara Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages49
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_vyavahara
File Size5 MB
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