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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsun Gyanmandir पवत्तिं वा थेरं वा गणिं वा गणहरं वा गणावच्छेइयं वा अनं गणं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए कप्पइ से आपुच्छित्ता आयरियं वा जाव गणावच्छेइयं वा अन्नं गणं उवसंपज्जिताणं विहरित्तए, ते य से वियोज्जा एवं से कप्पइ अन्नं गणं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए, ते य से नो वियरेन्जा एवं से नो कप्पइ अन्नं गणं उवसंपज्जिताणं विहरित्तए '५७४'११५। गणावच्छेइए य गणाओ अवक्कम इच्छेज्जा अन्नं गणं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए नो कप्पड़ गणावच्छेइयस्स गणावच्छेइयत्तं अनिक्खिवित्ता अन्नं गणं उवसंपज्जिताणं विहरित्तए, कप्पड़ से गणावच्छेइयस्स गणावच्छेइयत्तं निक्खिवित्ता अन्नं गणं उवसंपज्जिताणं विहरित्तए, नो से कप्पइ अणापुच्छित्ता आयरियं वा जाव गणावच्छेइयं वा अन्नं गणं उवसंपज्जिताणं विहरित्तए, कप्पइ से आपुच्छित्ता आयरियं वा जाव गणावच्छेइयं वा अन्नं गणं उक्संपज्जित्ताणं विहरित्तए, ते य से वियरेन्जा एवं से कप्पइ अनं गणं उवसंपज्जिताणं विहरित्तए, तेयसे नो वियरन्ति एवं से नोकप्पड अन्नं गणं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए।१६।आयरियउवज्झाए यगणाओ अवक्कम्म इच्छेज्जा अन्नं गणं उवसंपज्जिताणं विहरित्तए, नो से कप्पइ आयरियउवझायस्स आयरियउवझायत्तं अनिक्खिवित्ता अन्नं गणं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए, कप्पड़ से आयरियउवझायस्स आयरियउवझायत्तं निक्खिवित्ता अन्नं गणं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए, नो से कप्पइ अणापुच्छित्ता आयरियं वा जाव गणावच्छेइयं वा अन्नं गणं उवसंपज्जिताणं विहरित्तए, कप्पड़ से आपुच्छित्ता आयरियं वा जाव गणावच्छेइयं वा अन्नं गणं उवसंपज्जिताणं विहरित्तए, ते य से वियरेज्जा एवं से कप्पइ अन्नं गणं उवसंपन्जिताणं ॥ श्री बृहत्कल्पसूत्रम् ॥] पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal
SR No.021037
Book TitleAgam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages41
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bruhatkalpa
File Size9 MB
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