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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsun Gyanmandir ||एगे सागारिए पारिहारिए दो तिण्णि चत्तारि पञ्च सागारिया पारिहारिया एगं तत्थ कप्पागं ठवइत्ता अवसेसे निविसेज्जा ३७५११३|| नो कप्पइ निम्गन्थाण वा निग्गंथीण वा सागारियपिण्डं बहिया अनीहडं असंसर्दु संसटुं वा पडिग्गाहेत्तए' ३८६।१४-१५) नो कप्पड़ निग्गन्थाण वा निग्गन्थीण वा सागारियपिण्ड बहिया नीहडं असंसर्दु पडिग्गाहेत्तए।१६। कप्पइ निग्गन्थाण वा निग्गंथीण वा सागारियपिण्डं बहिया नीहडं संसर्ट पडिग्गाहेत्तए।१७ नो कप्पइ निग्गन्थाण वा निग्गंथीण वा सागारियपिण्डं बहिया नीहडं असंसर्ट संसटुं करेत्तए, जो खलु निग्गन्थो वा निग्गंथी वा सागारियपिण्डं बहिया नीहडं असंसटुं संसटुं करेइ करेन्तं वा साइज्जइ से दुहओ वीइक्कममाणे आवजइ चाउम्मासियं परिहारहाणं अणुग्धाइयं ४०१।१८। सागारियस्स आहडिया सागारिएणं पडिग्गहिता तम्हा दावए नो से कप्पइ पडिग्गाहेत्तए।१९। सागारियस्स आहडिया सागारिएणं अपडिग्गहिता तम्हा दावए एवं से कप्पड़ पडिग्गाहेत्तए' ४२०१२०१ सागारियस्स नीहडिया परेण अपडिग्गहिता तम्हा दावए नो से कप्पइ पडिग्गाहेत्तए।२१। सागारियस्स नीहडिया परेण पडिग्गहिता तम्हा दावए एवं से कप्पइ पडिग्गाहेत्तए'४२८१२२१ सागारियस्स अंसियाओ अविभत्ताओ अव्वोच्छिन्नाओ अव्वोगडाओ अनिज्जूढाओ तम्हा दावए नो से कप्पइ पडिग्गाहेत्तए।२३। सागारियस्स अंसियाओ विभत्ताओ वोच्छिन्नाओ वोगडाओ निजूढाओ तम्हा दावए एवं से कप्पइ पडिग्गाहेत्तए '४३८।२४। सागारियस्स पूयाभत्ते उद्देसिए चेइए पाहुडियाए सागारियस्स उवगरणजाए निहिए निसटे पाडिहारिए तं सागारिओ देइ सागारियस्स परिजणो देइ तम्हा दावए नो से ॥ श्री बृहत्कल्पसूत्रम् ॥] पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal
SR No.021037
Book TitleAgam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages41
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bruhatkalpa
File Size9 MB
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