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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वियाणित्ता ॥७॥ जावइया किर दोसा इहपरलोए दुहावहा हुँति आवहई ते सव्वे मेहुणसना मणूसस्स ॥८॥२इअरइतरलजीहाजुएण| संकप्पउब्भडपणेणी विसयबिलवासिणा भ(म)यमेहुणबिब्बोअरोसेणं॥ ९॥ कामभुअंगेण दट्टा लज्जानिम्मोयदप्पदाढेणी नासंति नरा अवसा दुस्सहदुक्खावहविसेणं॥ ११०॥ ललकनिरयवियणाओ घोरसंसारसायरूव्वहणी संगच्छइ न य पिच्छइ तुच्छत्तं कामियसुहस्स॥१॥ वभ्महसरसयविद्धो गिद्धो वणिउव्व रायपत्तीए। पाउक्खालयगेहे दुग्गंधेऽणेगसो वसिओ॥ २॥ कामासत्तो न भुणइ गम्भागम्भपि वेसियाणुव्वा सिट्ठी कुवेरदत्तो निअयसुआसुरयरइरत्तो ॥३॥पडिपिल्लिय कामकलिं कामघत्थासु मुथसु अणुबंधी महिलासु दोसविसवल्लरीसु पयई नियच्छंतो ॥४॥महिला कुलं सुवंसं पियं सुयं मायरं च पियरं चोविसयंधा अगणंती दुक्खसमद्दम्मि पाडे ॥५॥ नीअंगमाहिं सुपओहराहि उप्पिच्छमंथरगईहिं। महिलाहिं निन्नयाहि व गिरिवरगुरूआवि भिजति ॥६॥ सुद्धवि जियासु सुदृवि पियासु सुदृवि परूढपेमासु।महिलासु भुअंगीसु व वीसंभं नाम को कुणइ? ॥७॥वीसंभनिभरपिह उक्यारपई परूढपणयंपि। क्यविप्पियं पियं झत्ति निति निहणं हयासाओ ॥८॥रमणीयदंसणाओ सोमालंगीउगुणनिबद्धाओ नवमालइमालाउव हरंति हिययं महिलियाओ ॥९॥ किं तु महिलाण तासिं दंसणसुंदेरजणियमोहाणं आलिंगणमइरा देइ वझमालाणव विणासं ॥ १२०॥रमणीण दसणं चेव सुंदर होऊ संगमसुहेणी गंधुच्च्यि सुरहो मालईई मलणं पुण विणासो ॥१॥साके अपुराहिवई देवरई रज्जसुक्खपब्भट्ठो। पंगुलहेतुं छूढो बूढो अनई देवीए॥२॥ सोअसरी दुरिअदरी कवडकुडी महिलिआ किलेसगरी। वइरविरोअणअरणी दुक्खखणी/ | ॥श्री भक्तपरिज्ञा सूत्र॥ | पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only
SR No.021029
Book TitleAgam 27 Prakirnaka 04 Bhaktaparigna Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages25
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhaktaparigna
File Size6 MB
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