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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org | उवसंपज्जित्ताणं विहरति, तते णं सा सुभद्दा अज्जा अज्जाहिं अगोहट्टिया अणिवारिता सच्छंदमती बहुजणस्स चेडरूवे समुच्छिता जाव अब्भंगणं च जाव नत्तिपिवासं च पच्चणुब्भवमाणी विहरति, तते णं सा सुभद्दा अज्जा पासत्था पासत्याविहारी एवं ओसण्णा० कुसीला संसत्ता० अहाच्छंदा अहाच्छंदविहारी बहूई वासाई सामन्नपरियागं पाउणति त्ता अद्धमासियाए संलेहणाए अत्ताणं झूसेत्ता तीसं भत्ताइं अणसणे छेदित्ता तस्स ठगणस्स अणलोइयपडिक्कंता कालमासे कालं किच्चा सोहम्मे कथ्पे बहुपुत्तियाविभाणे उववायसभाए देवस्यणिज्जंसि देवद्वसंतरिया अंगुलस्स असंखेज भागमेत्ताए ओगाहणाए बहुपुत्तियदेवित्ताए उववण्णा, तेणं सा बहुपुत्तिया देवी अहुणोववन्नमित्ता समाणी पंचविहाए पज्जत्तीए जाव भासामणपजत्तीए०, एवं खलु गो० ! बहुपुत्तियाए देवीए सा दिव्वा देविड्डी जाव अभिसमण्णागता, से केणट्टेणं भंते! एवं वुच्चड़ बहुपुत्तिया देवी २?, गो० ! बहुपुत्तिया णं देवी जाहे २ सक्करस देविंदस्स देवरण्णो उवत्थाणियं करेइ ताहे २ बहवे दारए य दारियाओ य डिंभए य डिंभियातो य विउव्वइ त्ता जेणेव सक्के देविंदे देवराया तेणेव उवा० त्ता सक्क्स्स देविंदस्स देवरण्णो दिव्वं देविड्डि दिव्वं देवज्जुइं दिव्वं देवाणुभागं उवदंसेति, से तेणद्वेणं गो० ! एवं वृच्चति बहुपुत्तिया देवी २, बहुपुत्तियाणं भंते! देवीणं केवइयं कालं ठिती पं०?, गो० ! चत्तारि पलिओवमाई ठिई पं०, बहुपुत्तिया णं भंते! देवी तातो देवलो गाओ आउक्खएणं ठितिक्खएणं भवक्खएणं अनंतरं चयं चइत्ता कहिं गच्छिहिति कहिं उववज्जिहिति ?, गो० ! इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे विंझगिरिपायमूले बिभेलसंनिवेसे माहणकुलंसि दारियत्ताए पच्चायाहिति, तते णं तीसे दारियाए अभ्मापियरो एक्कारसमे दिवसे ॥ श्रीपुफिया सूत्रं ॥ पू. सागरजी म. संशोधित १७ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private and Personal Use Only
SR No.021023
Book TitleAgam 21 Upang 10 Pushpika Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages37
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pushpika
File Size8 MB
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