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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir || पगिज्झिय २ सूराभिमुहस्स आतावणभूमीए आतावेमाणस्स विहरित्तएत्तिकट्ट एवं संपेहेइ त्ता कल्लं जाव जलते सुबहुं लोह जाव दिसापोक्खियतावसत्ताए पव्वइए, पुव्वइएऽविय णं समाणे इमं एयारुवं अभिग्गहं अभिगिण्हइ त्ता पढम छट्ठक्खमणं उवसंपजित्ताणं विहरति, तते णं सोमिले माहणे रिसी पढमच्छट्टक्खमणपारणंसि आयावणभूमीए पच्चोरुहति त्ता वागलवत्थनियत्थे जेणेव सए उडए| तेणेव उवा०त्ता कढिणसंकाइयं गेण्हति त्ता पुरच्छिम दिसिं पुस्खेति पुरच्छिमाए दिसाए सोमे महाराया प्रत्थाणे पत्थियं अभिरक्खा सोमिलमाहणरिसिं, त्ता जाणिय तत्थ कंदाणि य मूलाणि य त्याणि य पत्ताणिय पुष्पाणि य फलाणिय बीयाणि य हरियाणि य ताणि अणुजाणउत्तिकटु पुरच्छिम दिसं पसरति त्ता जाणिय तत्थ कंदाणिय जाव हरियाणि य ताई गेण्हति किढिणसंकाइयं भरेति त्ता दन्भे य कुसे य पत्तामोडं च समिहाओ य कट्ठाणि य गेण्हति त्ता जेणेव सए उडए तेणेव उवा० त्ता किढिणसंकाईयगं ठवेति त्ता वेदि वड्डेति त्ता उक्लेवणसंमज्जणं करेति त्ता दब्भकल(कु)सहसत्थगते जेणेव गंगा महानदी तेणेव उवा०त्ता गंगं महानदी ओगाहति ना जलमज्जणं रेति त्ता जलकिड्ड रेति त्ता जलाभिसेयं करेति त्ता आयंते चोक्खे परमसुइभूए देवपिउक्यकज्जे दब्भकल(कु) सहस्त्थगते गंगातो महानदीओ पच्चुत्तरति त्ता जेणेव सते. उडए उवा०त्ता दब्भे य कुसे य वालुयाए यवेदि रएति त्ता सरयं करेति-त्ता अरणिं करेति त्ता सरएणं अरणिं महेति त्ता अग्गिं पाडेति त्ता अग्गिसंधुक्केति त्ता समिहा कट्ठाणि परिक्खिवति त्ता अग्गि उज्जालेतित्ता अग्गिस्स दाहिणे पासे, सत्तंगाई समादहे तं०-सक्थं वक्कलं ठाणं, सिजं भंडं कमंडलुं दंडदारूं तहप्पाणं, अह ताई समादहे ॥३॥ | ॥श्रीपुष्फिया सूत्र॥ | पू. सागरजी म. संशोधित For Private and Personal Use Only
SR No.021023
Book TitleAgam 21 Upang 10 Pushpika Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages37
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pushpika
File Size8 MB
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