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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आउहघरसालाए दिव्वे चक्करयणे समुपज्जित्था, तए णं से आउहघरिए भरहस्स रण्णो आउहघरसालाए दिव्वं चक्करयणं समुपन्नं पासइ ता हट्टतुट्ठचित्तमाणंदिए नंदिए पीइमणे परमसोमणस्सिए हरिवविसप्पमाणहिअए जेणामेव से दिव्वे चक्करयणे तेणामेव से उवागच्छइ ता तिक्खुत्तो आयाहिणपयाहिणं करेइ त्ता करयल जाव कट्टु चक्करयणस्स पणामं करेइ त्ता आउहघरसालाओ पडिणिक्खमइ त्ता जेणामेव बाहिरिआ उवद्वाणसाला जेणामेव भरहे राया तेणामेव उवागच्छइ त्ता करयल जाव जएणं विजएणं वद्धावेइ ता एवं वयासी एवं खलु देवाणुष्पिआणं आउहघरसालाए दिव्वे चक्करयणे समुप्पणे तं एअण्णं देवाणुष्पि आणं पिअट्टयाए पिअं णिवेएमो पिअं भे भवउ, तते गं से भरहे राया तस्स आउहघरिअस्स अंतिए एअमठ्ठे सोच्चा णिसम्म हट्ठ जाव सोमणस्सिए विअसिअवरकमलणयणवयणे पयलि अवरकडगतुडि अकेऊरमउड कुंडलहारविरायंतरइ अवच्छे पालंबलंबमाणघोलंत भूसणधरे ससंभमं तुरिअं चवलं परिंदे सीहासणाओ अब्भुट्ठेइ ता पायपीढाओ पच्चोरुहइ ता पाउआओ ओमुअइ त्ता एगसाड़िअं उत्तरासंगं करेइ त्ता अंजलिमउलि अग्गहत्थे चक्करयणाभिमुहे सत्तट्ठ पयाई अणुगच्छइ त्ता वामं जाणं अंचेइ ता दाहिणं जाणं धरणितलंसि णिहट्ट करयलजावअंजलिं० चक्करयणस्स पणामं करेइ त्ता तस्स आउहघरिअस्स अहामालिअं मउडवजं ओमोअं दलइ त्ता विउलं जीविआरिहं पीइदाणं दलइ ता सक्कारेइ सम्माणेइ ता पडिविसज्जेइ ता सीहासणवरगए पुरत्याभिमुहे सण्णिसण्णे, तए णं से भरहे गया कोडुंबिअपुरिसे सहावेइ ता एवं वयासी खिप्पामेव भो देवाणुष्पिआ ! विणीअं रायहाणिं सब्मिंतर बाहिरिअं आसिअसंमज्जिअसित्तसुइगरत्यंतर वीहिअं मंचाइमंचकलिअं ॥ श्री जंबूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्रं ॥ ४३ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only
SR No.021020
Book TitleAgam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages225
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_jambudwipapragnapti
File Size15 MB
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