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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उसभस्स दुविहा अंतकरभूमी होत्था, तं०-जुगंतकरभूमी य परिआयंतकरभूमी य, जुगंतकरभूमी जाव असंखेनाई पुरिसजुगाई परिआयंतकरभूमी अंतोमुहत्तपरिआए अंतभकासी ॥ ३२॥ उसमेणं अरहा पंचउत्तरासाढे अभीइछडे होत्था, तं०-उत्तरासादाहिं चुए चइत्ता गब्धं वकंते उत्तरासादाहिं जाए उत्तरासादाहिं रायाभिसेअं पत्ते उत्तरासादाहिं मुंडे भवित्ता आगाराओ अणगारियं पव्वइए उत्तरासाढाहिं अणंते जाव समुप्पण्णे अभीइणा परिणिव्युए॥३३॥ उसभेणं अहा कोसलिए वज्जरिसहनारायसंघयणे समचरंससं ठाणसंठिए पंचधणुसयाई उड्डेउच्चतेणं होत्था, उसमेणं अरहा वीसंपुव्वसयसहस्साई कुमारवासमझे वसित्ता तेवढेि पुवसयसहस्साई महारज्जवासमझे वसित्ता तेसीई पुव्वसयसहस्साई अगारवासमझे वसित्ता मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइए, उसमे गं अरहा एगं वाससहस्सं छउमत्थपरिआयं पाउणित्ता एगं पुव्वसयसहस्सं वाससहस्सूणं केवलिपरिआयं पाउणित्ता एगं पुव्वसयसहस्सं| बहुपडिपुण्णं सामण्णपरिआयं पाउणित्ता चउरासीई पुव्वसयसहस्साई सव्वाउअंपालइत्ता जे से हेमंताणं तच्चे मासे पंचमे पक्खे माहबहुले तस्स णं माहबहुलस्स तेरसीपक्खेणं दसहिं अणगारसहस्सेहिं सद्धि संपरिवुडे अट्ठावयसेलसिहरंसि चोइसमेणं भत्तेणं अपाणएणं संपलिअंकणिसण्णे पुव्वण्हकालसमयंसि अभीइणाणक्खतेणंजोगमुवागएणं सुसमदूसमाए समाए एगूणणवईहिं पक्खेहि सेसेहिं कालगए वीइकंते जावसव्वदुक्खपहीणे, जंसमयं चणं उसमे अहा कोसलिए कालगए वीइकंते समुजाए छिण्णजाइजरामरणबंधणे सिद्ध बुद्धे जाव सव्वदुक्खय्यहीणे तंसभ्यं च णं सक्कस्स देविंदस्स देवण्णो आसणे चलिए, तए णं से सक्के देविंदे देवराया [ ॥श्री जंबूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र॥ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only
SR No.021020
Book TitleAgam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages225
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_jambudwipapragnapti
File Size15 MB
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