SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 26
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जोयणं उर्दुउच्चत्तेणं तं तिगुणं सविसेसं परिक्खेवेणं, सेणं पल्ले एगाहिअबेहियतेहिअ० उक्कोसेण सत्तरत्नपरूढाणं संभटे सण्णिचिए भरिए वालगकोडीणं, ते णं वालग्गा णो कुत्थेजा णो परिविद्धंसेजा णो अग्गी डहेजा णो वाऊ हरेजा णो पूइत्ताए हव्वमागच्छेज्जा, तओ णं वाससए २ एगमेगं वालगं अवहाय जावइएणं कालेणं से पल्ले खीणे णीरए गिल्लेवे णिट्ठिए भवइ से तं पलिओवमे, एएसिं) पल्लाणं कोडाकोडी हवेज दसगुणिआ। तं सागरोवमस्स उ एगस्स भवे परीमाणं ॥८॥ एएणं सागरोवमप्यमाणेणं चत्तारि सागरोवमकोडाकोडीओ कालोसुसमसुसमा तिणिसागरो० सुसमा दो सागरो० सुसमदुसमा एगासागरोवमकोडाकोडी बायालीसाए वाससहस्सेहिं अणिआ दुस्समसुसमा एकवीसं वाससहस्साई दुस्समा एक्कवीसं वाससहस्साई दुस्समदुस्समा पुणरवि उस्सप्पिणीए एकवीसं वाससहस्साई कालो दुस्समदुस्समा एवं पडिलोमं अव्वं जाव चत्तारि सागरोवभकोडाकोडीओ कालो सुसमसुसमा० दससागरोवभकोडाकोडीओ कालो ओसप्पिणी दससागरोवमकोडाकोडीओ कालो उस्सपिणी वीसंसागरोवमकोडाकोडीओ कालो ओसप्पिणीउस्सपिणी (कालचकं)॥१९॥जंबुद्दीवेणं भंते! दीवे भरहे वासे इभीसे ओसप्पिणीए सुसमसुसमाए समाए उत्तमकट्ठपत्ताए भरहस्स वासस्स के रिसए आयारभावपडोयारे होत्था?, गो०! बहुसभरमणिजे भूमिभागे होत्था, से जहाणामए आलिंगपुक्खरेइ वा जावणाणामणिपंचवण्णेहिं तणेहि यमणीहि य उसवसोभिए तं०-किण्हेहिं जाव सुकिल्लेहिं एवं वण्णो गंधो फासो सदो अतणाण यमणीण य भाणिअव्वो जाव तत्थ णं बहवेमणुस्सा यमणुस्सीओ य आसयंति जाव ललंति, तीसे णं समाए भरहे वासे बहवे उद्दाला ॥श्री जंबूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only
SR No.021020
Book TitleAgam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages225
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_jambudwipapragnapti
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy