SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 221
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वणस्सइकाइयत्ताए उववष्णपुव्वा?, हंता गो०! असई अदुवा अणंतखुत्तो ॥१७९॥से केणद्वेणं भंते! एवं वुच्चइ जंबुद्दीवे २?, गो०!|| जंबुद्दीवे तत्थ २ देसे २ तहिं २ बहवे जंबूरूक्खा जंबूवणा जंबूवणसंडा णिच्चं कुसुमिआ जाव पिंडिमंजरिवडेंसगधरा सिरीए अईव उक्सोभेमाणा चिटुंति, जंबूए सुदंसणाए अणाढिए णामं देवे महिद्वीए जाव पलिओवमट्ठिइए, से तेणटेणं गो०! एवं वुच्चइ जंबुद्दीवे २ ॥१८०॥ तए णं समणे भगवं महावीरे भिहिलीयाए णयरीए माणिभद्दे चेइए बहूणं समणाणं बहूणं समणीणं बहूणं सावयाणं बहूणं सावियाणं बहूणं देवाणं बहूणं देवीणं मझगए एवमाइक्खड़ एवं भासइ एवं पण्णवेइ एवं परूवेइ जंबूदीवपण्णत्ती णामत्ति अजो! अज्झ्य णं, अटुं च हेउंच पसिणं च कारणं च वागरणं च भुजो २ उवदंसेइत्ति बेमि ॥१८१॥ श्रीजंबूद्वीपप्रज्ञप्त्युपांगं ७ सम्मत्त॥ प्रभु महावीर स्वामीनीपट्ट परंपरानुसार कोटीगण-वैरी शाखा-चान्द्रकुल प्रचंड प्रतिभा संपन्न, वादी विजेता परमोपास्य पू. मुनि श्री झवेरसागरजी म.सा. शिष्य बहुश्रुतोपासक-सैलाना नरेश प्रतिबोधक-देवसूर तपागच्छ-समाचारी संरक्षक-आगमोध्यारक पूज्यपाद| आचार्य देवेश श्री आनंदसागर सरीश्वरजी महाराजा शिष्य प्रौढ़ प्रतापी, सिध्धचक्र आराधक समाज संस्थापक पूज्यपाद आचार्य श्री चन्द्रसागर सूरीश्वरजी म.सा. शिष्य चारित्र चूडामणी, हास्यविजेता-मालवोध्धारक महोपाध्याय श्री धर्मसागरजी म.सा. शिष्य आगभविशारद-नमस्कार महामंत्र समाराधक पूज्यपाद पूंन्यासप्रवर श्री अभयसागरजी म.सा. शिष्य शासन प्रभावक-नीडर वक्ता पू. आ. श्री अशोकसागर सूरिजी म.सा. शिष्य परमात्म भक्तिरसभूत पू. आ. श्री जिनचन्द्रसागर सू.म.सा. लघु गुरु भ्राता प्रवचन प्रभावक ॥श्री जंबूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र | पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only
SR No.021020
Book TitleAgam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages225
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_jambudwipapragnapti
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy