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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kcbatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir || दिव्वाई भोगभोगाई भुंजमाणे विहरित्तए?, गो०! णो इण्टे समटे, से केणटेणं जाव विहरित्तए?, गो०! चंदस्स णं जोइसिंदस्स०|| चंदवडेंसए विमाणे चंदाए रायहाणीए सभाए सुहम्माए माणवए चेइअखंभे वइरामएसु गोलवट्टसमुग्गएसु बहूईओ जिणसकहाओ सन्निक्खित्ताओ चिट्ठति ताओ णं चंदस्स अण्णेसिं च बहूणं देवाण य देवीण य अच्चणिज्जाओ जाव पज्जुवासिणजाओ, से तेणटेणं गो०! णो पभू, पभू णं चंदे सभाए सुहम्माए चाहिं सामाणियसाहस्सीहिं एवं जाव दिव्वाइं भोगभोगाई भुंजमाणे विहरित्तए केवलं परिआरिद्धीए, णो चेवणं मेहुणवत्तियं, विजया वेजयंती जयंती अपराजिआ सव्वेसिंगहाईणं एयाओ अगमहिसीओ, छावत्तरस्सवि गहसयस्स एयाओ अगमहिसीओ वत्तव्वाओ, इमाहिं गाहाहिं इंगालए विआलय लोहिअंके सणिच्छरे चेवा आहणिए पाणिए कणगसणामा य पंचवे ११॥ १२८॥ सोमे सहिए अच्चासणे य जोवए अकब्बु (प्र०व्व )रए। आतरए दुंदुभए संखसनामेवि तिण्णेव ॥१२९॥ एवं भाणियध्वं जावभावके उस्स अगमहिसीओ॥१७२॥ चंदविमाणे णं भंते! देवाणं केवइयं कालं ठिई ५०?, गो! जह० उभागपलिओवम उक्को० पलिओवभ वाससयसहस्समब्भहियं, चंदविमाणे णं देवीणं०?, जह० चउभागपलिओवभ उक्को० अद्धपलियोवमं पण्णासाए वाससहस्सेहिमब्भहियं, सूरविमाणे देवाणं०?, जह० च्उभागपलिओवमं उक्को० पलिओवभ वाससहस्समब्भहियं, सूरविमाणे देवीणं०? जह० चउब्भागपलिओवम उक्को० अद्धपलिओवमं पंचहिं वाससएहिं, गहविमाणे देवाणं०?, जह० चउभागपलिओवम उक्को० पलिओवळ, गहविमाणे देवीणं०? जह० च्उब्भागपलिओवम उक्को० अद्धपलिओवम, || श्री जंबूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र। | पू. सागरजी म. संशोधित || For Private And Personal Use Only
SR No.021020
Book TitleAgam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages225
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_jambudwipapragnapti
File Size15 MB
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