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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org. | मणुयाणं केरिसए आयार भाव पडोयारे पं० ? गो० ! ते णं मणुआ बहुसंघयणा बहुउच्चत्तपजवा बहुआउपज्जवा बहूई वासाई आउं पालेति ता अप्पेगइया णिरयगामी अप्पेगइया तिरिय० अप्पेगइया मणय० अप्पेगइया देव० अप्पेगइआ सिज्यंति बुज्झति मुच्यंति परिणिव्वायंति सव्वदुक्खाणमंतं करेंति ॥ १॥ कहिं णं भंते! जंबुद्दीवे दीवे भरहे वासे वेयद्धे णामं पव्वए पं० ? गो० ! उत्तरद्ध भरहवासस्स दाहिणेणं दांहिणद्ध भरहवासस्स उत्तरेणं पुरित्थमलवणसमुद्दस्स पच्चत्थिमेणं पच्चत्थिमलवणसमुद्दस्स पुरत्थिमेणं एत्थ णं जंबुद्दीवे | भरहे वासे वेअद्धे णामं पव्वर पं० पाईणपडीणायए उदीणदाहिणविच्छिण्णे दुहा लवणसमुहं पुट्ठे पुरथिमिल्लाए कोडीए पुरथिमिल्लं लवणसमुद्दे पुढे पच्चत्थिमिल्लाए कोडीए पच्चत्थिमिल्लं लवणसमुद्दे पुढे पणवीसं जोयणाई उद्धउच्चत्तेणं छ सकोसाइं जोअणाई उव्वेहेणं पण्णासं जोअणाई विक्खंभेण तस्स बाहा पुरत्थिमपच्चत्थिमेणं चत्तारि अट्ठासीए जोयणसए सोलस य एगूणवीसइ भागे जोअणस्स अद्धभागं च आयामेणं पं०, तस्स जीवा उत्तरेणं पाईणपडीणायया दहा लवणसमुद्द पुट्ठा पुरत्थिभिल्लाए कोडीए पुरत्थिभिल्लं लवणसमुहं पुट्ठा पच्चत्थिभिल्लाए कोडीए पच्चत्थिभिल्लं लवणसमुदं पुट्ठा दस जोयणसहस्साइं सत्त य वीसे जोअणसए दुवालस य एगूणवीसइभागे जो अणस्स आयामेणं तीसे धणुपट्टे दाहिणेणं दस जोअणसहस्साइं सत्त य तेआले जोयणसए पण्णरस य एगूणवीसइ भागे | जोयणस्स परिक्खेवेणं रूअगसंठगणसंठिए सव्वरययामए अच्छे सण्हे लहे घट्टे मट्टे गीरए णिम्मले णिष्पंके णिक्कंकडच्छाए सम्पभे जाव पडिरूवे, उभओ पासिं दोहिं परमवरवेइयाहिं दोहि अ वणसंडेहिं सव्वओ समंता संपरिक्खित्ते, ताओ णं परमवर वेइयाओ ॥ श्री जंबूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्रं ॥ पू. सागरजी म. संशोधित ५ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private And Personal Use Only
SR No.021020
Book TitleAgam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages225
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_jambudwipapragnapti
File Size15 MB
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