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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥णस्थि २०१। ३०२। इंदियपयं १५॥ कतिविहे गं भंते! पओगे पं०?, गो०! पण्णरसविहे पयोगे पं० २०-सच्चमणप्पओगे असच्च० सच्चामोस० असच्चामोस णप्पओगे, एवं वइपओगेवि चहा, ओरालियसरीरकायप्पओगे ओरालियभीससरी० देउब्विय० वेउब्वियमी० आहारक० आहारगमीस० (तेया) कम्मासरीरकायप्पओगे।२०२। जीवापां भंते! कतिविधे पओगे पं०?, गो०! पण्णरसविधे पं० ०सच्चमणप्पओगे जाव कमासरीरकायप्पओगे, नेरइयाणं भंते! कतिविधे पओगे पं० गो० एक्कारसविधे पओगे पं००-सच्चमण जाव असच्चामोसवय० वेउब्वियसरी२० वेब्वियमीससरीर०( तेया) कम्मासरीरकायप्पओगे, एवं असुरकुमाराणवि जाव थणियकुमाराणं पुढवीकाइयाणं पुच्छा, गोo! तिविहे ५ओगे पं० २०-ओरालियसरी२० ओरालियमीससरी० कम्मासरीरकायप्पओगे य, एवं जाव वणस्सई णवरं वाउकाइयाणं पंचविहे पओगे पं० २० ओरालिय० ओरालियमीस० वेउव्विए दुविधे कम्मासरीरकायप्पओगे य, बेइंदियाणं पुच्छा, गो०! चविहे पओगे पं० २०-असच्चामोसवइ० ओरालियसरी२० ओरालियमीसी सरीर० कम्मासरीरकायप्प०, एवंजाव चरिदियाणं, पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा, गो०! तेरसविधेपओगे पं०० सच्चमण० मोसमण सच्चाभोस० असच्चामोसमण एवं वइप्पओगेवि ओरालियसरीर० ओरालियभीससरी२० वेउब्विय० वेउब्वियमीससरीर० कम्मासरीरकायप्पओगे, मणूसाणं पुच्छा, गो०! पण्णरसविधे पओगे पं० ०-सच्चमणप्प० जाव कम्मासरीरकाय५०, ॥ श्री प्रज्ञापनोपांगम् ।। | २०५ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only
SR No.021017
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages345
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size19 MB
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