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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobetirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पञ्चिन्दियसंसारसमावण्णजीवपण्णवणासे किं तं एगेन्दियसंसारसमावण्णजीवपण्णवणा?, २ पञ्चविहा पं००-पुढवीकाइया आउ० ते३० वाउ० वणस्सकाइया॥१० से किं तं पुठवीकाइया ?, २ दुविहा पं० ०-सुहुभपुढवीकाइया य बादरपुढवीकाइया य ११॥ से किन्तं सुहुमपुढवीकाइया?, २ दुविह। पं० २०-पजत्तसुहुमपुढवीकाइया य अपजत्तसुहमपुढवीकाइया य, सेत्तं सुहमपुढवीकाइया ११२ से किं तं बादरपुढवीकाइया?, २ दुविहा पं० २०-सण्हबादरपुढवीकाइया य खरबादरपुढवीकाइया य १३) से किं तं सण्हबायरपुढवीकाइया ?, २ सत्तविहा पं० ०-किण्हमत्तिया नील० लोहिय० हालिद्द० सुकिल्ल० पाण्डु० पणगभत्तिया, सेत्तं सण्ह०१४ से किं तं खरबायपुढवीकाइया?, २ अणेगविहा पं० ०-पुढवी य सक्कर। वालुया य उवले सिला य लोणूसे। अय तंब तय सीसय रुप्प सुवने य वइरे य ॥१०॥ हरियाले हिंगुलए मणोसिला सासगंजण पवाले। अब्भपडलऽब्भवालय बायरकाए मणिविहाणा ॥११॥ गोमेज्जए यरुयए अंके फलिहे य लोहियक्खे योमरगय मसारगल्ले भुयमोयग इन्दनीले २ ॥१२॥ चंदण गेरुय हंसगब्भ पुलए सोगन्धिए य बोद्धव्वे। चन्दप्यम वेरुलिए जलकंते सूरकंते य ॥१३॥ जे यावन्ने | तहप्यगारा, ते समासओ दुविहा पं० २०-पज्जत्तगा य अपजत्तगा य, तत्थ् णं जे ते अपजत्तगा ते णं असंपत्ता, तत्थ णं जे ते प्रज्जत्ता एतेसिं वनादेसेणं गन्धादेसेणं रसादेसेणं फासादेसेणं सहस्सग्गसो विहाणाई सङ्ग्रेजाइं नोणियमुहसतसहस्साई, पज्जतगणिस्साए अपज्जतगा वक्कमति जत्थ एगो तत्थ नियमा असङ्ग्रेज्जा, सेत्तं खरबायरपुढवीकाइया, सेत्तं बायरपुढविक्काइया, ॥ श्री प्रज्ञापनोपांगम् ॥ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only
SR No.021017
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages345
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size19 MB
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